(बया के घर !)
दादी बोलती थी इस चिड़िया के बारे में , दर्जी चिड़िया है यह ! पर यह तो एक निपुण राज मिस्त्री जैसा काम करती है ! यह बया चिड़िया है । अपना घर बड़े ही मनोयोग से बनाती है ।
चिकनी कामत पर मैंने इन्हें खूब देखा है ,नारियल के पत्तों में लटकते इनके घोसलें । क्या खूबसूरती से ये बनाती हैं अपना घर । पतले रेशे से बुनती हैं घोसलें को । खोज खोज कर उपयोगी सामान लाना फिर बड़ी ही निपुणता से बनाना इनकी विशेषता है । इतना हुनर तो आदमी में भी नहीं हो सकता ! यह अपनी चोंच से सिलाई करती है। प्रकृति में ऐसे बहुत ही मनोरम दृश्य पैदा करते जीव हैं जिनके बारे में हम लगभग अनभिज्ञ ही हैं ।
दुखद है कि ऐसे दृश्य शहरों में नजर नहीं आते । पटना में तो मैं कहीं देख नहीं रहा । गाँव में भी अब ऐसे दृश्य दुर्लभ होते जा रहे हैं । खुद मेरी खेती पर जहाँ ये हजारों में होते थे अब देखने को नहीं मिलते ।
इनके घर ऐसे बने होते थे कि आंधी तूफान में भी बचे रह जाते थे । हवा से हिलते इनके घर गिरते नहीं थे ऐसे मजबूत बने होते थे ।
ये आगामी मौसम का पूर्वानुमान भी संभवतः लगाती थी क्योंकि हवा के रुख का अनुमान लगा कर ही ये अपने घोसलें को किस पत्ती या डाली में बनाएंगी ,यह वह तय करती थी ।
प्रकृति खुद में एक पूर्ण विज्ञान है । हर जीव को खुद समर्थ बनाई है प्रकृति ने । अब देखिए जानवरों को रुपये पैसों की कोई जरूरत नहीं होती जीने के लिये । आदमी चूंकि बहुत ही लोभी जीव है तो उसको रुपयों की भी जरूरत पड़ी । उसने अपने लोभ में अपना घर तो तोड़ा ही दूसरे के घरों को भी तबाह किया । अन्य जीवों के रहवास को खत्म किया । यही कारण है कि प्रकृति की यह सुंदर कृति ,बया अब हमारे इर्द गिर्द नजर नहीं आती !
आपको कहीं नजर आए ,दिखे तो हमें भी बताइएगा !
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©डॉ. शंभु कुमार सिंह
30 जुलाई,20
पटना
प्रकृति मित्र
Prakriti Mitra
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