खोये हुए प्रेमपत्र
वो लिखती थी खत
भिंगो कर
आंसुओं से
होठों की छुअन से
दे उसे
कुछ मिठास भी
रहती थी बातें
कुछ खिलखिलाती
कुछ उदास भी
इत्र की महक
प्यार की तरह
मद्धिम मद्धिम
वो खत
क्या था
प्यारी दास्तान थी
जिसे पाने को
तरसती थी आंखें
धड़कता था दिल
जिसका मिलना था
बड़ा मुश्किल
आज जैसा नहीं
कि
चैट पर
चटपट !
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©डॉ. शंभु कुमार सिंह
31 दिसम्बर,20
पटना
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रेखाचित्र साभार : अनु प्रिया
अनुप्रिया बिहार के सुपौल से आती हैं और वर्तमान में दिल्ली में निवास करती एक युवा चित्रकार हैं जिनके रेखाचित्र कई एक पुस्तकों के कवर चित्र बने हैं एवं बहुत सारी पत्रिकाओं में छपे भी हैं!