पंडुक यानी कपोतक
कपोतक (डव, Dove) एक पक्षी है, जो कबूतरों (कोलंबिडी गण, Order columbidae) का निकट संबंधी है। यह पँड़की, फाखता, पंडुक और सिरोटी के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह भारत ,बांग्लादेश और श्रीलंका में बहुतायत पाया जाता है। पर आकर एवं रंगरूप में भारत और श्रीलंका की नस्लों में अंतर है।
यह ग्रामीण परिवेश में बहुतायत पाया जाता है। पर पहाड़ी इलाकों में खासकर ऊंचे स्थानों में नहीं पाया जाता है।
कपोतक 12 इंच तक लंबे, भोले भाले पक्षी होते हैं। इनकी प्रकृति, स्वभाव तथा अन्य बातें कपोतों से मिलती जुलती होती हैं। कपोत (कबूतर) की तरह ये भी अनाज और बीज आदि से अपना पेट भरते हैं और इन्हीं की भाँति इनका अंडा देने का समय भी साल में दो बार आता है। तब मादा अपने मचाननुमा, तितरे बितरे घोंसले में दो सफ़ेद अंडे देती है।
वैसे तो इसकी कई जातियाँ सारे संसार में फैली हुई हैं, परंतु उनमें निम्नलिखित विशेष प्रसिद्ध हैं :
- धवर (रिंग डव, Ring Dove)-यह कद में सब कपोतकों से बड़ा और राख के रंग का होता है जिसके गले में काला कंठा सा रहता है।
- काल्हक (टर्टल डव, Turtle Dove)-यह धवर से कुछ छोटा और भूरे रंग का होता है। इसके ऊपरी भाग पर काली चित्तियाँ और चिह्न पड़े रहते हैं।
- चितरोखा (स्पॉटेड डव, Spotted Dove)-यह काल्हक से कुछ छोटा, परंतु सबसे सुंदर होता है। इसके अगले ऊपरी काले भाग में सफेद बिंदियाँ और पिछले भूरे भाग में कत्थई चित्तियाँ पड़ी रहती हैं।
- टूटरूँ (ब्राउन डव, Stock Dove)-यह उपर्युक्त तीनों कपोतकों से छोटा होता है। इसका ऊपरी भाग भूरा और छाती से नीचे का भाग सफेद रहता है। गले पर काली पट्टी रहती है जिसपर सफेद बिंदियाँ रहती हैं।
- ईंटकोहरी (रेड टर्टल डव, Red Turtle Dove)-इसका रंग ईंट जैसा और कद सबसे छोटा होता है। पूँछ के नीचे का भाग सफेद और गले में काला कंठा रहता है।
- स्टॉक डव (Stock Dove)-यह धवर से कुछ छोटा होता है, परंतु रंग उससे कुछ गाढ़ा होता है। इसके गले में धवर की तरह कंठा नहीं रहता। इसकी मादा पेड़ों के कोटरों में अंडे देती है।
- कॉलर्ड (Collared) या बारबरी डव (Barbary Dove)-यह उत्तरी अमरीका का प्रसिद्ध कपोतक है जिसके शरीर का रंग चंदन के समान और गले में काला कंठा रहता है।
- शैल कपोतक (रॉक डव, Rock Dove)-इनसे हमारे पालतू कबूतर उत्पन्न किए गए हैं।
- विपाली कपोतक (मोर्निंग डव,
Mourning Dove) – यह छोटे कद का होता है।
कपॊतक क़ॊ राज़स्थानी मे डेख़ड़ भी क़हते है॓।
कुछ लोग इसका शिकार कर खाते भी हैं। यह बहुत ही सरल स्वभाव का पक्षी है जिसे अपने यहाँ बिहार में पंडुक कहा जाता है।
इतने सरल और मृदुल स्वभाव वाले पक्षी की हत्या निंदनीय है। इनका संरक्षण होना चाहिए ताकि पर्यावरण और प्रकृति इनकी गुटरुं गूँ से गूंजता रहे।
प्रकृति मित्र
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©डॉ. शंभु कुमार सिंह
पटना ,16 दिसम्बर,2020
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