आज प्यार पर प्रवचन !
प्यार की पढ़ाई नहीं हो सकती। यह गणित नहीं है। जैसे कविता पढ़ सकते हो , समझ सकते हो पर लिखना सीख नहीं सकते ! यह दिल दा मामला है। आज मन किया इस पर कुछ बात हो !
प्रीति ने प्रेम विवाह किया। वह कल मिली मुझे। विवाह पर ही बात हो रही थी।
मैंने उसे कहा,’मुझसे अगर मिली होती पहले तो कसम से तुमसे ही मुझे प्यार होता ! तुम मेरी होती!’
‘तो आप मिले नहीं न !’ वह यह कह खिलखिला उठी!
मैं उसकी खिलखिलाहट में डूब गया। लेकिन प्यार का एक सूत्र मुझे मिला ,कि मैं इससे मिला नहीं था तब!
अगर मिला होता तो शायद यह मेरी होती। हो सकता है इसके पति से भी बहुत पहले मिला होता तो चयन की भी इसे समस्या नहीं होती?
तो क्या प्यार प्रोबेबिलिटी का मामला है?
यहाँ तो प्यार संभाव्यता के सिद्धान्त से लिपट रहा है?
गणित का मामला बन रहा है।
गणित में कमजोर हूँ,पर दिमाग से नहीं!
प्यार सच में प्रोबेबिलिटी का मामला है। जो पहले मिला या मिली वही पाया या पायी!
यह पहले पहल कब होता है ,यह भी प्रश्न उठता है?
तो जब दिल मचल जाए, यही पहले पहल है!
हो सकता है, आप मेरी बात से सहमत नहीं हों?
पर अपने प्यार की क्रोनोलॉजी को देखिये,मेरी बात से सहमत होंगे ही !
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©Dr.Shambhu Kumar Singh
Patna/15/12/2020