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सुल्ताना बुलबुल

by Dr Shambhu Kumar Singh

दूधराज यानी सुल्ताना बुलबुल

आपको पता है कि मध्य प्रदेश का राज्यपक्षी कौन है? अकसर हमारे सामने ये सवाल आता है कि देश का राष्ट्रीय पक्षी कौन है, तो हम बिना देर किये इस सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं, मोर (Peacock)। लेकिन, क्या आपको पता है मध्य प्रदेश का राज्य पक्षी कौन है? कई लोगों के लिए ये सवाल काफी रोचक होगा, क्योंकि बहुत कम लोगों को ही इसका जवाब पता होगा? तो चलिए हम आपको बताते हैं कि एमपी के राज्य पक्षी का नाम इंडियन पैराडाइज फ्लाइकेचर है। इसे हिंदी में दूधराज कहा जाता है। इसे सामान्य तौर पर एमपी के लोग सुल्ताना बुलबुल के नाम से भी जानते हैं। आकार में बहुत छोटा होने के साथ साथ बेहद सुंदर दिखने वाला ये पक्षी मुख्य रूप से घने जंगलों, बगीचों, घनी झाड़ियों वाले जंगल, पतझड़ वनों तथा बांस के जंगलों में रहता है। सर्दी के मौसम में ये अपना पूरा समय एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बिताते हैं
दूधराज या सुल्ताना बुलबुल पक्षी को मध्य प्रदेश का राज्यपक्षी घोषित हुए दसियों साल बीत चुके हैं। साल 1985 में इसे मध्य प्रदेश का राज्यपक्षी घोषित किया गया था। हालांकि विडंबना ये है कि, जैसा इस पक्षी का प्रदेश में रुतबा है, वैसी इसके संरक्षण की व्यवस्थाएं प्रदेश में नहीं की जा रहीं। कई बार इसके संरक्षण को लेकर सवाल भी उठ चुके हैं, लेकिन नतीजा ये है कि अब तक राज्य सरकार से लेकर वनविभाग के पास इसकी कुल संख्या का आंकलन भी नहीं है। राज्यपक्षी होने के बावजूद सरकार और विभाग दोनों ही इसके संरक्षण पर खास ध्यान नहीं दे रहे हैं। हालांकि वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संकटाग्रस्त प्रजातियों की सूची में दूधराज को कम चिंता वाले पक्षियों की श्रेणी में रखा गया है। हालांकि पक्षीप्रेमी बताते हैं कि यह पक्षी आमतौर पर मध्य प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों (नेशनल पार्क, अभयारण्य) में देखने को मिल जाते है, लेकिन बहुत मुश्किल से। इसलिए ये कहना भी उचित नहीं होगा कि यह प्रजाति पूरी तरह से सुरक्षित है। इसलिए प्रदेश सरकार को इसे राज्य पक्षी होने के कारण भी पूर्ण संरक्षण देने की ज़रूरत है।
सामान्य तौर पर दूधराज पक्षी या सुल्ताना बुलबुल 18 से 22 सेंटीमीटर तक का होता है। नर दूधराज पक्षी की पूंछ 20 से 24 सेंटीमीटर लंबी होती है, इसकी पूंछ में दो 30 सेंटीमीटर लंबे पंख भी निकले रहते हैं। एक वयस्क दूधराज पक्षी के पंखों का फैलाव 86 सेंटीमीटर से 92 सेंटीमीटर तक होता है। आपको बता दें कि पक्षियों की प्रजाति में सिर्फ दूधराज पक्षी की पूंछ ही उसके शरीर की लंबाई से चार गुना तक लंबी होती है। वहीं, बात करें मादा दूधराज पक्षी की तो ये ज्यादा से ज्यादा 20 सेंटीमीटर लंबी होती है। हालांकि, इसकी लंबी पूछ नहीं होती। इसकी पूंछ लगभग इसके शरीर के समान होती है।

नर पक्षी का सौंदर्य दर्शन

आश्चर्यजनक रूप से नर दूधराज पक्षी (सुल्ताना बुलबुल) के दो रूप देखने को मिलते हैं, एक प्रकार के नर की पीठ पर लाल भूरे रंग के पंख पाए जाते हैं इसकी लंबी पूछ भी लाल भूरे और हलके केसरिया रंग लिए हुए होती है जबकि दूसरे प्रकार का नर मटमैला सफेद और हल्का ग्रे रंग का होता है। दोनों ही प्रकार के नर के सिर का रंग चमकीला काला होता है। इनके पैर इनके शरीर के अनुरूप काफी छोटे होते हैं। इनकी चोंच छोटी और गोल पतली होती है, जिसका रंग गहरा नीला और काला होता है। इनकी आंखें काली और आंखों के आसपास गहरे नीले काले रंग की रिंग होती है। दूधराज पक्षी (सुल्ताना बुलबुल) को इसकी लंबी पूंछ जिसमें दो पंख निकले होते हैं, अन्य पक्षियों से इन्हें अलग पहचान दिलाते हैं।

मादा पक्षी का सौंदर्य दर्शन

मादा दूधराज पक्षी सुल्ताना बुलबुल का सर पूरी तरह नर की तरह चमकीला काले रंग का होता है। इसके शरीर का ऊपरी हिस्सा गहरा भूरा लाल केसरिया होता है। इसके शरीर का निचला हिस्सा मटमैला सफेद और ग्रे रंग का होता है। इसकी पूंछ नर की पूंछ के मुकाबले काफी छोटी होती है।

इन स्थानों पर करता है निवास

मध्य प्रदेश का राज्य पक्षी होने के बावजूद भी दूधराज पक्षी यहां बहुत कम ही पाया जाता है। हालांकि, भारत के अलावा श्रीलंका, तुर्किस्तान, मंचूरिया, मलेशिया तथा कुछ अन्य द्वीपों में इसकी घनी आबादी वास करती है। दक्षिण भारत और श्रीलंका में इसकी मूल प्रजाति पाई जाती है। सर्दियों के दिन में प्रवासी प्रजाति भी यहां पर आ जाती है। ये पक्षी अकसर घने जंगलों में रहना पसंद करता है। व्यावहारिक तौर पर देखें तो ये काफी शोर करने वाला पक्षी है। इसकी आवाज में काफी तीखापन होता है, जिससे ‘चे चे’ या ‘ज्वीट ज्वीट’ जैसे स्वर निकलता है। अंग्रेजी में पुकारे जाने वाले इसके नाम से ही ये साफ हो जाता है कि ये कीट पतंगे खाने वाला पक्षी है। ये मुख्य रूप से कीट पतंगे, तितलियां और मक्खियां खाना पसंद करता है।

दूधराज पक्षी सुल्ताना बुलबुल का प्रजनन काल

इस खूबसूरत पक्षी का प्रजनन काल मार्च से जुलाई के बीच होता है। इससे पहले ये सर्दियों से ही अपना घोंसला तिनकों और पेड़ों की छोटी-छोटी टहनियों से मिलकर बनाना शुरु कर देते हैं। आमतौर पर ये किसी मज़बूत पेड़ की टहनी पर अपना घोंसला बनाना पसंद करते हैं। नर और मादा दोनों मिलकर घोंसला तैयार करते हैं। मादा दूधराज पक्षी एक बार में 3 से 5 अंडे देती है। इन अंडो का रंग हल्का पीला गुलाबी और भूरा लाल होता है। माता इन अंडों को 14 से 18 दिन तक सेती है। मुख्य रूप से प्रवासी दौर में मध्य प्रदेश आने वाले इन पक्षियों के लिए यहां के घने जंगलों में इस पक्षी के लिए संरक्षित क्षेत्र बनाए गए हैं। ये संरक्षित क्षेत्र प्रदेश के चोरल, कजलीगढ़, सिमरोल, मानपुर और महू हैं।

दूधराज के बारे में खास बातें

दूधराज पक्षी जीवनभर एक बार में सिर्फ एक ही मादा से जोड़ा बनाकर रखता है। इसके इस व्यवहार को मोनोगेमस (Monogamous) कहा जाता है।
दूधराज पक्षी सुल्ताना बुलबुल को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत सबसे कम चिंता रखने वाले प्राणियों की सूची में शामिल किया गया है।
अपने बिहार में भी ये दिखते हैं पर बहुत ज्यादा नहीं। गया से आगे ये दिखने शुरू हो जाते हैं। झारखंड ,छत्तीसगढ़ में भी ये मिलते हैं। मुंबई में भी काफी संख्यां में यह दिखाई देते हैं।
दूधराज या सुल्ताना बुलबुल बुलबुल जाति का पक्षी नहीं है। यह फ्लाई कैचर है। हालांकि यह अभी कम खतरे में चिन्हित है पर इनके संरक्षण की जरूरत है। अभी से ही इस पर कार्य योजना बने नहीं तो बाद में देरी हो जाएगी।
मैं आप सभी से भी अनुरोध करूँगा कि पक्षियों का संरक्षण करें। उसे खत्म होने से बचाएं। वे हमारे मित्र हैं। उनका जाना हमारी जिंदगी से खुशियों का जाना है। तो कोई भी पक्षी हो उनका संरक्षण करें। ये प्रकृति मित्र हैं।
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डॉ. शंभु कुमार सिंह

प्रकृति मित्र

Prakriti Mitra

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