भारतीय मैना
तोता मैना की कहानी आप कभी पढ़े हैं? इसमें मैना प्यार की पंछी मानी जाती है। भारतीय परिवेश में मैना एक आम चिड़िया है जिसकी कई एक किस्में भारत में उपलब्ध है। वैसे मैना (Common Myna) मूल रुप से एक दक्षिण एशियाई पक्षी है जोकि ज्यादातर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार में पायी जाती थी। हालांकि अब ये दुनिया के कई देशों में पाई जा रही है। यह उन पंक्षियों में से एक है जिनकी जनसंख्या और प्राकृतिक निवास स्थल तेजी से बढ़ रहे हैं।
मैना शाखाशयी गण के स्टनींडी कुल की पक्षी है, जो कत्थई ,काली, भूरी, सिलेटी या चितली होती है। यह पहाड़ी मैनाओं से भिन्न है, जो जगलों की अपेक्षा बस्ती के बागों और जलाशयों के किनारे रहना अधिक पसंद करती है। यह सर्वभक्षी पक्षी है जो क़द में फाखता के बराबर होती है। कुछ मैना पक्षी अपनी मीठी बोली के लिय प्रसिद्ध हैं। निम्नलिखित पाँच मैना बहुत प्रसिद्ध हैं:
तैलियर या स्टालिंग:- इसे अपनी मीठी बोली के कारण अंग्रेज़ी साहित्य में वही स्थान प्राप्त है, जो हमारे यहाँ पहाड़ी मैना को है।
किलहँटा या देशी मैना:- बस्ती और बाग़ में रहनेवाला यह बहुत प्रसिद्ध पक्षी है।
चुहों या हरिया मैना:- यह जलाशयों और गाय बैलों के आस-पास रहने वाली पक्षी है।
अबलखा मैना:- काली और सफ़ेद पोशाक वाली पक्षी है।
पवई:- यह बहुत मीठी बोली बोलने वाली पक्षी है।
पहाड़ी मैना
पहाड़ी मैना या सारिका शाखाशायी गण के ग्रेकुलिडी कुल का प्रसिद्ध पक्षी है, जो अपनी मीठी बोली के कारण शौकीनों द्वारा पिंजड़ों में पाली जाती है। अंग्रेजी साहित्य में स्टालिंग को जो स्थान प्राप्त है, वही इस मैना को हमारे साहित्य में मिला हुआ है।
यह गिरोह में रहने वाला पक्षी है जो हमारे देश को छोड़कर कहीं बाहर नहीं जाता। इसकी कई जातियाँ भारत में पाई जाती हैं, जिनमें थोड़ा ही भेद रहता है।
इस मैना का सारा शरीर चमकीला काला रहता है, जिसमें बैंगनी और हरी झलक रहती है। डैने पर एक सफेद दाग रहता है और आँखों के पीछे से गुद्दी तक फीते की तरह पीली खाल बढ़ी रहती है।
इसका मुख्य भोजन तो भारत के फल-फूल और कीड़े मकोड़े हैं लेकिन यह फूलों का रस भी खूब पीती है। मादा फरवरी से मई के बीच में दो-तीन नीलछौंह हरे रंग के अंडे देती है।
मैना सुरीली आवाज निकालती है। यह नकलची चिड़िया है। इस कारण भी भारत में लोग इसे पालते हैं। आप जो इसे सिखाएं यह जल्द ही सीख बोलने लगती है। आम लोगों में लोकप्रिय यह एक खास चिड़िया है। इसकी कुछ और नस्लें भी भारत में उपलब्ध है जो सामान्यतया हर जगह देखी जाती है।
जब आप प्रकृति को प्यार करते हैं तो चिड़ियों को भी प्यार करते ही होंगे? तो कभी गौर से मैना को देखिये ,ये बहुत ही प्यारी लगेगी! आपको आश्चर्य होगा यह जान भी कि भारत में भगवान शिव की अर्धागिनी, माता पार्वती की माता का नाम मैना ही है।
भारत में छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना है। प्रदेश में पहाड़ी मैना की चार प्रजातियां पाई जाती हैं। पहाड़ी मैना उत्तरी आध्रप्रदेश, ओडिशा के सिमलीपाल हिल और दक्षिण छत्तीसगढ़ में पायी जाती है। दक्षिण छत्तीसगढ़ में पायी जाने वाली मैना ही इंसानों के आवाज की हुबहू नकल करनें में माहिर होती हैं। इसलिए ही यहाँ की पहाड़ी मैना को ज्यादा पसंद किया जाता है।
मैना प्रकृति और पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण पक्षी है। यह नैसर्गिक कीट प्रबंधक है। फसलों की कीटों से रक्षा हेतु यह बहुत ही सहयोगी चिड़िया है।इसके कारण फसलोत्पादन में वृद्धि होती है। अतः इसी रक्षा करना हमलोगों का फर्ज है। इसे बढ़ने दें ,अपने आँगन और खेतों में फुदकने दें।
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©आलेख और संपादन :
डॉ. शंभु कुमार सिंह
संयोजक, प्रकृति मित्र
3 नवम्बर ,20,पटना