भुट्टा भजन
हरी थी मन भरी थी
लाख मोती जड़ी थी,
राजा जी के बाग में
दोशाला ओढ़े खड़ी थी!
गांव में बुझौवल बुझाते थे। बहुत दिमाग लगाने पर मकई का बाल ध्यान में आता था। जीतते भी थे। सच में ,मकई की खेती कर राजा बना जा सकता है ! बिहार की स्थिति यह है कि यह पूरे भारत में मकई उत्पादन में फर्स्ट है। बिहार में भी सीमांचल का इलाका सबसे आगे है। मकई गर्मा और भदई दोनों होता है। और इसके कच्चे बाल जिसे थोड़ा शहरी होने पर हम भुट्टा कहने लगे को आग पर सेंक कर खाने का मजा अलौकिक है। जो खाया वह कभी भूल नहीं पाया इसका स्वाद ! अद्भुत स्वाद!
भुट्टा को लकड़ी की आग पर पकाइये और फिर खाइये ,वाह वाह कह उठेंगे। आप चाहें तो उबाल कर भी खा सकते हैं। भुट्टा खिच्चा खाएं या जुआएल सभी स्वादिष्ट होते हैं। खिच्चा भुट्टा को दुद्धा भी बोलते हैं या अज्जू! नाखून गड़ाए तो सफेद दूध निकलता है। भुट्टा को पका के खाने के अलावा छुड़ा कर तेल में भून लें ,यह गलबल कहलाता है । यह भी खाने में अलौकिक !
भुट्टा खाएं और साथ में काला नमक,नींबू, हरी मिर्च ,प्याज ,बुरका हुआ गोलमिर्च न हो मजा नहीं आएगा ! तो इनको जरूर शामिल करें।
भुट्टा के दाने को हाथ से छुड़ा कर खाएं या डायरेक्ट दांत से भंमोर कर ,दोनों तरीके से मजा आएगा। भंमोरने आता है न? यह शुद्ध देहाती तरीका है भुट्टा खाने का और अपने मजबूत दांत को रणक्षेत्र में आजमाने का ! तो एक बार यह भी कोशिश कीजियेगा!
भुट्टा अब हर मौसम में मिलता है। इसे खाना स्वाद के साथ स्वास्थ्य के लिये भी उत्तम है ।पेट साफ रहता है। इसमें फाइबर की मात्रा होती है जो आपके स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है।
कच्चे भुट्टे के बहुत से व्यंजन बनते हैं । उसको भी आजमाएं । पकौड़े भी । आज कल बहुत सी रमणियाँ अपनी कमनीय काया की राज भुट्टे को ही बताती हैं। तो जिनको कमनीय काया की चाहत हो भुट्टा जरूर खाएं।
बोरिंग रोड चौराहा पर दस रुपये का एक ! खाइये एक दो । आप चाहें तो बाड़ी फुलवारी में भी कुछ पौधे मकई के लगा सकते हैं और लाख मोती जड़ी को देख मुस्कुरा सकते हैं ! तो जरूर सोचिएगा जब अगली बार बाड़ी में जाएं खुरपी ले कर , कुछ पौधे मकई के भी लग जाएं।
याद रखें,भुट्टा से बढ़ कर सांध्यकालीन कोई नाश्ता नहीं !
इसका आनंद लें और मस्त रहें।
तो खा रहे हैं न आज भुट्टा ?
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© डॉ. शंभु कुमार सिंह
पटना
16 अक्टूबर ,20
प्रकृति मित्र
Prakriti Mitra
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