किसी से पूछिए कि आप ने कभी ब्लू फ़िल्म देखी है तो वो ऐसे मुंह बनाएंगे गोया यह आपने उनसे क्या पूछ दिया ? जबकि असलियत यह है कि सभी ने देखी है।
अरे भाई ,आप कचरें, सड़ी गली चीजों को देखते होंगे ही , सड़कों के किनारे, नालों में ,उसी तरह यह पोर्न फिल्म है ।यह नालों का नहीं , नेट का कचरा है । देखे होंगे ही । यह अलग बात है कि कुछ लोग नाक पर रुमाल रख इससे दूर भागते हैं तो कुछ इस गंदगी में आनंद खोजने लगते हैं । यह एक तरह की मनोविकृति है । यह अब हमलोगों की पहुंच से दूर नहीं । पॉकेट में है ।हाँ , मैंने भी एक बार देखी थी , उल्टी हो गयी । सामान्य कामेच्छा खत्म हो गयी । कितनी विकृति है !
पर अभी स्थिति यह है कि इस पर कोई नहीं बोलना चाहता । सभी “संत” मोड में हैं । जबकि उनके बच्चे यह देख रहे हैं । उनसे इस पर बात कीजिये । समाज में इस पर चर्चा कीजिये । यह बहुत बड़ी विकृति है जो बच्चों की जेब में होती है । इस पर चिंता कीजिये । नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब यह फिल्में स्मार्ट फोन से निकल कर सड़कों पर दिखाई देने लगेंगी ? चेतिये !
थोड़ा बहुत अपने शहर की सड़कों और पार्कों में आ भी गयी है यह !
आंख खोलियेगा तभी न देख पाईयेगा ?
आंख खोलिये !
बहुत देर हो गयी है !
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डॉ. शंभु कुमार सिंह
19 जून ,21
पटना