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स्मृतियों के फलक-1

by Dr Shambhu Kumar Singh

यह मात्र साबुनदानी नहीं है

इससे जुड़ी न जाने कितनी मधुर स्मृतियां हैं!
पता नहीं इसे बाबूजी कब खरीदे थे पर हम इसे बचपन से देख रहे हैं । मेरी बड़ी दीदी भी इसे बचपन से देख रही हैं। तो इसकी उम्र 70 वर्ष के आसपास तो है ही ?
इस साबुनदानी से साबुन निकाल जब बाबूजी हमलोगों को नहलाते थे और आँख में साबुन का झाग लगता था तो हम लोग खूब रोते थे। आज वह रोने को याद करना कितना मीठा लग रहा है!
काश बाबूजी आज होते! पर कौन अजर,अमर यहाँ रहा है जो बाबूजी होते ? तो वे भी चले गए !
पर उनका प्यार ,आशीष हमारे पास है। कुछ ऐसी चीजें भी हैं जो बरबस उनकी याद दिलाती है, जैसे यह साबुनदानी !

?बाबूजी!

?यादें

??
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