केवल प्रेमविवाह में ही प्रेम नहीं होता
( वरन अरेन्ज विवाह में भी प्रेम होता है!)
प्रेम विवाह में प्रेम जुड़ा हुआ है ही। भले ही असल जिंदगी में प्रेम हो या नहीं। अरेन्ज विवाह अभी हिंदी फिल्म का जमींदार हो गया है। मतलब बहुत ही बुरा,क्रूर। मेरा यही क्रूर विवाह हुआ था। पर नाम का ही क्रूर है। प्रेम तो देखता हूँ, है। पच्चीस साल से हराभरा !
मैं शादी से पहले कभी पत्नी से नहीं मिला। देखने की बात भी नहीं। वो होता है न चयन कार्यक्रम ,वह भी नहीं हुआ। फोटोग्राफ देखा। एकदम पसंद नहीं। पर मैं ही कौन फिल्मी हीरो था तो कहा कि चलो शादी इन्हीं से कर लेते हैं।
तो न डेटिंग,न भेंट मुलाकात, न फोनफान, न कोई जान पहचान ,सीधे जयमाल के स्टेज पर गर्दन झुकाए खड़ा था। बैंड वाला बजा रहा था ,मेरे यार की शादी है। साला, इसका यार मैं कब था,याद नहीं आ रहा था?
विदा वक्त दुल्हन रो रही थी। स्वाभाविक है ,अपने बचपन का घर छोड़ रही थी। रोते रोते गाड़ी में बैठ गयी। भर मांग सिंदूर। बाल उलझे। घूँघट में बगल में बैठी सिसक रही थी।थकी मांदी धीरे धीरे चुप हो गयी। मैं आधी राह में उसकी तरफ मुड़ कर देखा। वह मेरे कंधे का सहारा ले सो रही थी। कल तक जो पराया लड़का था उस पर इतना विश्वास ! मैं थोड़ा इस कदर झुक गया कि उसे सोने में तकलीफ न हो !
सुबह उठा तो सबसे पहले चिंता हुई कि वह नाश्ता की या नहीं। वह भी मुस्कुरा मुझसे पूछी कि आप भी कुछ खाये या नहीं ?
पिछले साल बीमार पड़ी तो ऐसा लगा दुनिया अंधेरी हो रही है। वह लाख लाख शुक्र भगवान का,वह जाँच में स्वस्थ निकली। अब इस रिश्ते को क्या नाम दूँ? प्यार कहूँ या नहीं ? हम तो लड़ते भी खूब हैं। लगभग भारत पाकिस्तान की तरह । फिर शांति वार्ता भी कर लेते हैं। प्यार क्या है,किधर है नहीं खोजते। वह संग संग रहता है ! प्यार आखिर कभी तो शुरू होता है !? तो हम जैसे अरेन्ज विवाह वालों के जीवन में प्यार ,केयर की भावना शादी के साथ ही शुरू हो जाती है। उसे बाजार में नहीं खोजना पड़ता!
तो यह कहना कि प्यार केवल प्रेम विवाह में ही होता है अरेन्ज विवाह में यह असंभव है ,असत्य ही लगता है मुझे!
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©Dr.Shambhu Kumar Singh
15 December20, Patna
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