कठफोड़वा : एक खूबसूरत पक्षी
जीव जंतुओं की दुनिया बहुत ही निराली है। केवल पक्षियों की दुनिया देखें तो इसी में इतनी विविधता है कि हम कल्पना नहीं कर सकते कि इतनी भी अद्भुत यह होती है। जब हम पूरे जीव जगत को देखें तो यह अद्भुत,अगम और अनंत है।करोड़ों अरबों किस्म ,नस्ल के जीव जंतु इस धरा पर है। यही है प्रकृति की विविधता। कितने ही रूप,आकार, रंग ! विस्मित करती है जानकारी ।
आज हम आपको कठफोड़वा चिड़िया के बारे में जानकारी देंगे। आदमी में कठपिंगल मिलते हैं चिड़ियों में कठफोड़वा। दोनों दो जाति और नस्ल के होते हैं। हमारे समाज में कठपिंगल कहीं न कहीं जरूर ही मिल जाते हैं। किसी के भी दिमाग में सुराख करते। पर कठफोड़वा काठ पर अपनी चोंच से सुराख बनाता मिलता है। यह प्रकृति का एक सुंदर उपहार है जबकि कठपिंगल नहीं।
कठफोड़वा पक्षी अपनी मजबूत चोंच से पेड़ के तने की छाल को तोड़कर कीड़े खाता है। इसके कारण यह काफी प्रसिद्ध है। आइये इसी रोचक और विचित्र पक्षी के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।
- इस पक्षी की 200 से अधिक प्रजातियां विश्व में कई जगहों पर पायी जाती है। कठफोड़वा पक्षी की कई प्रजातियां एशिया, अफ्रीका, यूरोप और साउथ अमेरिका में पायी जाती हैं। ये आकार में अलग अलग साइज के होते हैं। ऑस्ट्रेलिया और ध्रुवीय इलाकों में यह पक्षी नहीं मिलता है।
- भारत मे पाया जाने वाला कठफोड़वा पक्षी पेड़ों पर रहने वाली चींटियों के अंडों को खाता है। एक बुलबुल पक्षी के आकार का कठफोड़वा भी भारत में मिलता है।
- कठफोड़वा पक्षी (Woodpecker) की चोंच काफी मजबूत और नुकीली होती है। यह एक हथोड़े की तरह होती है। यह अपनी चोंच से पेड़ की छाल को तोड़ देता है। कठफोड़वा चोंच को तने के एक ही बिंदु पर बार बार मारता है जिससे वहां सुराख हो जाती है।
- जब यह पक्षी अपनी चोंच को पेड़ के तने पर मारता है तो इसकी आवाज दूर दूर तक सुनी जा सकती है। यह पेड़ के तने में सुराख करके उसके अंदर से कीड़े निकालता है और खाता है।
- कठफोड़वा एक मिनट में करीब 20 बार चोंच मारता है फिर भी इसकी चोंच नही टूटती है।
- विश्व का सबसे छोटा कठफोड़वा का नाम ‘ब्रेस्टेड पिकलेट” है। छोटे कठफोड़वा पक्षी का आकार 3 से 4 इंच का होता है। लेकिन कुछ प्रजातियां बड़े आकार की भी होती है जिनका आकार 10 से 15 इंच होता है। सबसे बड़े आकार का कठफोड़वा एशिया में मिलता है जिसे “ग्रे स्लेटी कठफोड़वा” कहते है। यह आकार में 20 इंच के करीब होता है।
- यह अपने घोसले अमूमन बागों में बनाता है। कठफोड़वा जंगलो में कम ही रहता है। अधिकतर आम के पेड़ पर यह अपना घोसला बनाता है कारण कि उस पेड़ के तने की सुराख में कीड़े मिलते हैं। पुराने वृक्षों पर भी यह अपना घोंसला बनाता है।
- मादा और नर कठफोड़वा पक्षी में अंतर बहुत कम होता है। इसके रंग से इसकी पहचान होती है। नर का माथा, गर्दन काला रंग का होता है जबकि मादा के सीने का रंग सफेद होता है। वैसे कठफोड़वा की विभिन्न प्रजातियों का रंग अलग अलग होता है।
- कठफोड़वा पक्षी का मुख्य भोजन पेड़ की दरारों में पाये जाने वाले कीड़े होते है। यह पक्षी बीजों को भी खाता है।
- कठफोड़वा पक्षी पेड़ के तने में घोंसला बनाता है। यह चोंच से तने की सुराख को चौड़ा कर देता है। घोसले में नीचे बैठने के लिए पानी की काई को यह बिछाता है।
- कठफोड़वा की जीभ भी इसकी चोंच के समान ही मजबूत होती है। इसकी जीभ पेड़ पर किये गए सुराख से कीड़ों को निकालकर खाने में उपयोगी होती है।
- कठफोड़वा के पैर में चार उंगलियां होती है। दो उंगली आगे और दो पीछे की और होती है। इससे इन्हें तने को पकड़ने में सहायता मिलती है।
- कठफोड़वा चोंच को तने पर कई बार मारता है लेकिन फिर भी इसे सरदर्द नही होता है। इसके पीछे का कारण इसकी चोंच पर गद्देदार हड्डिया होती है जो शॉक से बचाती है।
- कठफोड़वा पक्षी का औसत जीवनकाल 5 से 15 वर्ष होता है।
अगर आप जीवों से प्यार करते हैं तो चिड़ियों का संरक्षण जरूर करें। कठफोड़वा अब बहुत कम नजर आने वाली चिड़ियां होती जा रही है। इसे बचाइए। प्रकृति का अनमोल उपहार है यह । इस हेतु प्रकृति मित्र के अभियान से भी जुड़ें।
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प्रकृति मित्र
लेखन और संपादन :
©डॉ. शंभु कुमार सिंह
संयोजक ,प्रकृति मित्र
www.prakritimitra.com
2 Nov.,2020
(चित्र इंटरनेट से )