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चिड़ियों की दुनियां-बुलबुल

by Dr Shambhu Kumar Singh

बुलबुल

          बुलबुल मुझे बहुत ही प्रिय लगती रही है। ग्यारहवीं क्लास में बुलबुल मिश्रा साथ ही पढ़ती थी। बड़ी आकर्षक। मीठी बोलने वाली। पर बड़ी लड़ाकू। हम सब लड़के उसकी परिक्रमा करते रहते थे। कुछ छुद्र ग्रह भी परिक्रमा करते थे। इसी में रमेशवा था। एक बार उसकी शिकायत हेड मास्टर साहब से कर दी बुलबुलिया। दूसरे दिन हमलोग रमेशवा के सिर पर एक बड़ा बुलबुला देखे। फिर वह कभी बुलबुलिया को देखना क्या उसके बारे में सोचना भी छोड़ दिया। बोलता था ,यह दुनिया पानी का बुलबुला! खैर, आज उस बुलबुल की कहानी नहीं कह एक दूसरी बुलबुल की चर्चा करता हूँ। वही बुलबुल जो पेड़ पौधों पर फुदकती नजर आती है मीठा गीत गाती!
          बुलबुल, शाखाशायी गण के पिकनोनॉटिडी कुल (Pycnonotidae) का पक्षी है और प्रसिद्ध गायक पक्षी "बुलबुल हजारदास्ताँ" से एकदम भिन्न है। ये कीड़े-मकोड़े और फल फूल खानेवाले पक्षी होते हैं। ये पक्षी अपनी मीठी बोली के लिए नहीं, बल्कि लड़ने की आदत के कारण शौकीनों द्वारा पाले जाते रहे हैं। यह उल्लेखनीय है कि केवल नर बुलबुल ही गाता है, मादा बुलबुल नहीं गा पाती है। बुलबुल कलछौंह भूरे मटमैले या हल्के पीले और हरे रंग के होते हैं और अपने पतले शरीर, लंबी दुम और उठी हुई चोटी के कारण बड़ी सरलता से पहचान लिए जाते हैं। इसकी चोटी आकर्षक होती है। इसके पंख के नीचे का रंग लाल होता है।  विश्व भर में बुलबुल की कुल 9700 प्रजातियां पायी जाती हैं। इनकी कई जातियाँ भारत में पायी जाती हैं, जिनमें "गुलदुम बुलबुल" सबसे प्रसिद्ध है। इसे लोग लड़ाने के लिए पालते हैं और पिंजड़े में नहीं, बल्कि लोहे के एक (अंग्रेज़ी अक्षर -टी) (T) आकार के चक्कस पर बिठाए रहते हैं। इनके पेट में एक पेटी बाँध दी जाती है, जो एक लंबी डोरी के सहारे चक्कस में बँधी रहती है।

भूरी आंखों वाली बुलबुल, माइक्रोसेलिस अमॉरोटिस
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत:पशु/संघ:कशेरुकी/वर्ग:एव्स/गण:पैसेरीफ़ॉर्मेस
उपगण:पैसेरी/कुल:Pycnonotidae

प्रजातियाँ

         इसके कई वनीय प्रजातियों को ग्रीनबुल भी कहा जाता है। इनके कुल मुख्यतः अफ़्रीका के अधिकांश भाग तथा मध्य पूर्व, उष्णकटिबंधीय एशिया से इंडोनेशिया और उत्तर में जापान तक पाये जाते हैं। कुछ अलग-थल प्रजातियाँ हिंद महासागर के उष्णकटिबंधीय द्वीपों पर मिलती हैं। इसकी लगभग 130  प्रजातियाँ, 24 जेनेरा में बँटी हुई मिलती हैं। कुछ प्रजातियाँ अधिकांश आवासों में मिलती हैं। लगभग सभी अफ़्रीकी प्रजातियाँ वर्षावनों में मिलती हैं। ये विशेष प्रजातियाँ एशिया में नगण्य हैं। यहाँ के बुलबुल खुले स्थानों में रहना पसन्द करते हैं। यूरोप में बुलबुल की एकमात्र प्रजाति साइक्लेड्स में मिलती है, जिसके ऊपर एक पीला धब्बा होता है, जबकि अन्य प्रजातियों में स्नफ़ी भूरा होता है। भारत में पाई जानेवाली बुलबुल की कुछ प्रसिद्ध जातियाँ निम्नलिखित हैं :

गुलदुम (Red vented) बुलबुल,
सिपाही (Red whiskered) बुलबुल,
मछरिया (White browed) बुलबुल,
पीला (Yellow browed) बुलबुल तथा
काँगड़ा (White checked) बुलबुल।
नयी प्रजाति
पक्षी वैज्ञानिकों ने हाल ही में बुलबुल की एक नयी प्रजाति खोजी है, जो उनके अनुसार पिछले सौ वर्षों में पहली बार दिखाई पड़ी है। इसे लाओस में देखा गया है। वन्य जीवन संरक्षण सोसाइटी ने बताया है कि इस नन्हीं सी चिड़िया के सिर पर बहुत कम बाल हैं। उन्होंने कहा है कि उसके वैज्ञानिकों और ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न विश्वविद्यालय ने इस चिडि़या की पहचान बुलबुल की नयी प्रजाति के रूप में की है।उनके अनुसार दक्षिण पूर्वी एशियाई देश लाओस के सावनाखत प्रान्त में चूने की चट्टानों से कुदरती रूप से निर्मित गुफा में 2009 में यह देखी गई थी। इसका नाम बेयर फेस्ड बुलबुल रखा गया है। इसके सिर पर नगण्य बाल हैं और बालनुमा पंखों की एक बारीक सी कतार है। इसका मुँह भी विशिष्ट है, पंख विहीन और गुलाबी; और आँखों के पास उसकी त्वचा नीलिमा लिये हुए हैं।

सिपाही बुलबुल

        भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी क्रान्तिकारी व उर्दू शायर पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल ने तत्कालीन भारत में बहुतायत में पायी जाने वाली प्रजाति सिपाही बुलबुल को प्रतीक के रूप में प्रयोग करते हुए अनेकों गज़लें लिखी थीं। उन्हीं में से एक गज़ल वतन के वास्ते का यह मक्ता (मुखड़ा) बहुत लोकप्रिय हुआ था :

“क्या हुआ गर मिट गये अपने वतन के वास्ते।
बुलबुलें कुर्बान होती हैं चमन के वास्ते॥”

सिपाही बुलबुल (Red whiskered Bulbul) की गर्दन में दोनों ओर कान के नीचे लाल निशान होते हैं जो कुर्बानी या बलिदान भावना के प्रतीक हैं। इसीलिये गज़ल में बुलबुल शब्द प्रतीक के रूप में प्रयुक्त हुआ है।

ये हैं कुछ और प्रजातियां —

कॉलारेड फ़िंचबिल, Spizixos semitorque,बड़ी चोंच वाली बुलबुल, मैडागास्कर,शाह बुलबुल,कलविंकक (या, बुलबुल हजार दास्ताँ)।
बुलबुल प्रकृति की खूबसूरत रचना है। इसका संरक्षण कीजिये। यह हानिकारक कीटों से हमारी रक्षा करती है। यह प्रकृति की बेहतरीन संगीतकार है। मीठी गायिका ! मेरी फुलवा जैसी !?

प्रकृति मित्र

Prakriti Mitra

©Dr.Shambhu Kumar Singh
Patna,19 Nov.,20
(Photos by Rashmi Ravija ji,Mumbai)
तस्वीर सिपाही बुलबुल,गुलदुम बुलबुल एवं श्वेत कर्ण बुलबुल की है!
www.prakritimitra.com
www.voiceforchange.in

श्वेत कर्ण बुलबुल

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