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कल सुबह मेरा एक नया बंगाली दोस्त मेरे घर आया
और बोला – “आज हमारा घर भोजन हाय, आप साब ओईयेगा”
मैंने कहा – ठीक है…!
मैं बीवी को लेकर वहाँ ठीक 11:30 बजे पहुँच गया…!
वहाँ 4-5 बंगाली ढोलक तबला बजा रहे थे, दोपहर 2:30 बजे तक न जाने क्या गा रहे थे, कुछ पता नहीं चला…!
फिर वो बंगाली दोस्त खड़ा होकर बोला – “आज का भोजन समाप्त हुआ, कोल फिर भोजन है, टाइम से आ जाना…!”
बीवी मुझे घूर के देख रही थी…!
इस भजन (भोजन) के चक्कर में बीवी ने शाम का भी भोजन नही दिया…!
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(उसके बाद कान पकड़ा कि कभी ऐसे निमंत्रण पर जाऊं!पर बहुत ऐसे हैं जिनके आग्रह को नहीं टालता जैसेकि Ratna जी।
बहुत अच्छा दलपुरी और आलूदम बनाती हैं! एकदम लोजवाब!??)
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