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पिरितिया को प्रेमपत्र

by Dr Shambhu Kumar Singh

हम्मर प्राण पियारी पिरितिया !
अभी लॉक डाउन हो गइल है रानी ,पर हमार पियार के लॉक डाउन नहीं हुआ है । ई जे लॉक डाउन हुआ है खाली एकइसे दिन का है पर हमार पियार त चली साथ जनम ! अब त तोहर दुकान भी आबे के चानस नइखे पिरितिया काहे की राम खेलावन कक्का अभी कोरोना के डर से खैनी खाये के छोड़ देलन ह । त कैसहूँ करेजा पर पत्थर रख के रहअ!खाली फेफड़ा ठीक रहे ई पर जरूर ध्यान दिअह । रामदेव बाबा के अनुलोम विलोम भी करइत रहियह जानू । काहे कि जान बची त पिरित भी बची । कभी तोहर कोशी के धार सन उमकल जवानी जब हम याद करता हूँ त लगता है रे पिरितिया कि की करें ?!
बाबू अब घास काटे भी नहीं जाए दे रहे हैं । जाए देते त तोरा बकरी के भी घास देवे के बहाने आ ही जाते पर उ भी नहीं हो रहा है । अब देख पिरितिया , एकइसे दिन न काटे के है ? त काट लेंगे । नून रोटी खाएंगे ,तुम को न भूल पाएंगे ।
अपन पियरका सूट में एगो सेल्फी जरूर भेजही रे पिरितिया । वकरे देख देख दिन काट लेंगे । तुम भी ठीके से रहना । ई कोरोना एक दम अगिया वैताल रोग है त जादे कूद फांद नहीं करना । गरम गरम कुछ कुछ पीते रहना । ई अपन गरम जवानी के गुमान में मत रहना । जे मिले पी लेना । गरम माड़ भात आ नून त सुरुक ही सकती हो ।
अभी बाबू बुला रहे हैं कुट्टी काटे ला । त जा रहली हैं । अबतिये फिर ऑनलाइन होएंगे । फिर भर मन बात करेंगे ।
तोहरे ,
गोबरधन परसाद
लव यू पिरितिया !
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