Post Corona Economics_4
Farmers and
Farming
Entrepreneurship and Rural
Development
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By
Dr.Shambhu Kumar Singh
14 May, 2020
(Hindi)
भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का अभी भी 60%से ज्यादा का योगदान है। खेती शहरों में नहीं की जाती तो स्वाभाविक है कि गांवों में की जाती है । खेतों में । शहरों में फार्म हाउस होते हैं जहां शराब और सुंदरियाँ के खेल खेले जाते हैं। यह इस देश का दुर्भाग्य है कि हम किसानों की भाग्य रेखा लिखने वाले प्रभु शहरों से ही आते हैं जिनका खेती से दूर दूर का कोई रिश्ता नहीं होता !?
आज अभी वित्तमंत्री महोदया देश के किसानों हेतु आर्थिक पैकेज की घोषणा की हैं । मैं सोया हुआ था । अचानक मेरी श्रीमती जी मुझे जगाई , जागिये न ,देखिये वित्तमंत्री जी आयीं हैं किसानों हेतु घोषणा ले कर । मैं भी तुरंत ही उठ टी वी के आगे ध्यानस्थ हो गया ।
पर वित्तमंत्री महोदया जो बोल रही थी या घोषणा कर रही थीं वह पैकेज नहीं था । वह झुनझुना भी नहीं था । वह तो रिपोर्टिंग कर रही थी । कि हमने क्या क्या किया किसानों हेतु । इतने किसान इतने लोन ले चुके हैं और इनको क़िस्त जमा करने में 31 मई तक छूट दी जाती है । मन किया कि टी वी फोड़ दूँ पर एक किसान जिसकी किस्मत पहले से ही फूटी है वह टी वी फोड़ने की हिम्मत नहीं कर सकता ।
यह घोषणा एक तरह से किसानों के साथ मजाक है । हमारे विशेषज्ञ किसानों के कल्याण को केवल लोन दे दो या लोन माफ कर दो तक ही समझते हैं । यह स्वाभाविक ही है क्योंकि इससे आगे वे जा नहीं सकते क्योंकि उनको कोई जानकारी ही नहीं है ।
इस कोरोना काल मे किसानी कितनी कठिन हो गयी है उन्हें नहीं मालूम । वे केवल कृषि कार्य से मनरेगा मजदूर को ही जोड़ देते तो कोई एक पैसा ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता पर खेती को गति मिल जाती । इससे श्रमिक समस्या का भी समाधान होता साथ ही किसानों को भी बहुत बड़ी राहत मिलती । एक यह भी फायदा होता कि इसका स्वतः ही सोशल ऑडिट हो जाता । पर यह लोगों की इच्छा ही नहीं है तो घोषणा में इसको जगह भी नहीं ।
कोरोना संकट पूरी तरह से मानव जनित है क्योंकि हमने प्रकृति का बुरी तरह से नाश किया है । किसान से बढ़ कर कोई प्रकृति मित्र नहीं । प्रकृति के ही उपादानों से किसानों का जीवन यापन होता है । आज कोविड 19 के मद्देनजर कोई प्रकृति सौम्य योजना की घोषणा की जा सकती थी । देशी बीजों से संबंधित कोई बात होती या फिर देशी गायों के पालन पर सरकार अभी किसानों को क्या सहूलियत दे रही है इसपर चर्चा होती । पोखर , पशुपालन, वर्मी कम्पोस्ट, ऑर्गेनिक खेती का कोई उल्लेख नहीं है । आप आज की स्थिति में किसानों को क्या सपोर्ट दे रहे हैं ,उसका कोई उल्लेख नहीं । कृषि को उद्यम से जोड़ने की कोई योजना नहीं और न कृषि उत्पाद के प्रसंस्करण उद्योग पर ही कोई चर्चा है ।
किसानों के भी बच्चे पढ़ते लिखते हैं उनकी कोई चर्चा नहीं । वे भी बीमार पड़ने हैं उन पर भी कोई बात नहीं । सबसे अजूबा तो यह कि भारत की वित्तमंत्री एक महिला हैं और उन्होंने महिला किसानों की कोई चर्चा ही नहीं की है ?
बहुत सी बातों को आपने छोड़ दिया है माननीया वित्तमंत्री जी । आगे कभी इनकी भी सुध लीजिये ,इसी आशा के साथ आपको धन्यवाद कि आपने पच्चीस लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड की उपलब्धता सुनिश्चित करने की घोषणा की है ! पर इस नेट युग में भी बैंक से लोन लेना कितना दुरूह होता है वह आप क्या जानो वित्त मंत्री जी ! काश कि आप इतना ही कर देतीं कि घर बैठे जो आपके पंजीकृत किसान हैं उनको लोन मिल जाता क्योंकि सभी डिटेल्स तो आपके पास है ही तो किसानों के कल्याण के साथ ग्रामीण क्षेत्र का आर्थिक सबलीकरण भी होता ?!
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©डॉ. शंभु कुमार सिंह
14 मई, 2020
पटना
(लेखक एक प्रगतिशील किसान हैं और कई बार उल्लेखनीय खेती हेतु पुरस्कृत भी !)