Home Editorial “आई लव यू!”

“आई लव यू!”

by Dr Shambhu Kumar Singh

आई लव यू !

कल एक महिला मित्र के इनबॉक्स में लिख दिया ,”आई लव यू”! मित्र गुस्सा गयी! बोली,आपको तो मैं अच्छा समझती थी,पर निकले एकदम लिच्चर! मैं तो हतप्रभ? अरे ये क्या? मतलब “आई लव यू” का कथन लिच्छरई है? यह प्रेम का प्रगटीकरण नहीं है? मैं तो डर गया! मित्र से माफी मांग इनबॉक्स से बाहर भागा !
दरअसल “आई लव यू” का जो नैरेटिव समाज में तय है वह यही है कि यह प्रेम तो कदापि नहीं है। यह विशुद्ध सेक्सुअल आकर्षण है। या सेक्सुअल संबंध बनाने का आमंत्रण ! कबीर का “ढ़ाई आखर प्रेम” यह नहीं है। भगवान बुद्ध का भी नहीं। हमारी फिल्मों ने भी एक समाज मनोवैज्ञानिक फलक तैयार किये हुए है जिसमें “आई लव यू” “इलु इलु” से आगे नहीं बढ़ पाया है। यह इस तरह से चित्रित किया जाता है कि आप किसी को भी “आई लव यू” न छुप के न खुलेआम कह सकते हैं ! मैं एक अठारह वर्षीय किशोर को अगर बोल दूँ, “आई लव यू” तो देखिये प्रतिक्रिया ? “बुढ़वा ठरकी है।” “गे है क्या ?” यह प्रतिक्रिया गलत भी नहीं है ! यह हमने, हमारे समाज ने तय किये हैं! जो हमारी मानसिक दुनिया में सेट है।
कल मैं एक सब्जी वाले को बोला ,”आई लव यू” । वह हँसा ,”क्या सर ,ई लव तव से क्या होगा , तीन सौ बयालीस रुपया हुआ कृपया जल्द दें ताकि दूसरे जगह भी जाएं बिक्री के लिए”। मतलब यह “आई लव यू” तीन सौ बयालीस रुपये से भी कम मूल्य का है?
प्रेम का अवमूल्यन हुआ है तो शब्दों का भी । इनके मायनों का भी। अर्थ का अनर्थ हो चुका है। “आई लव यू” अब प्रेम की अभिव्यक्ति नहीं। यह उस प्रेम का प्रतीक है जिसमें सेक्स पूरी मजबूती से उपस्थित है। यह वह प्रेम है जो जैव रसायनों का तड़का है। वह नहीं तो आध्यत्मिक प्रेम है और न प्लेटोनिक! तो जहाँ जहाँ इसकी गुंजाइश हो सकती है आप बेधड़क कह सकते ,”आई लव यू” !
तो इसे बोलने के पहले प्रेम के विराट स्वरूप को भूल जाएं नहीं तो कुटाई की भी पूरी संभावना बनती है।
इसी के साथ आपको,”आई लव यू”!
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(लेखकीय कॉपी राइट : सर्वाधिकार सुरक्षित)

©डॉ. शंभु कुमार सिंह
28 जून 21
पटना
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