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हिंदी पत्रकारिता और मैं-3

by Dr Shambhu Kumar Singh

हिंदी पत्रकारिता और मैं

(पर्यावरण और पत्रकारिता )
(3)

बिहार में पत्रकारिता की स्थिति दयनीय है । बहुत से पत्रकार हैं पर विशेषज्ञ पत्रकारों की कमी है । अपराध, कला ,संस्कृति, शिक्षा, युवा , महिला , स्वास्थ्य, उद्यमिता , कृषि, पर्यावरण , ग्रामीण विकास आदि विषयों और फिर इनके उप विषयों पर बहुत ही कम विशेषज्ञ पत्रकार बिहार में हैं । आज मैं खास कर पर्यावरण में पत्रकारिता पर लिखूंगा । वह भी बिहार की ही ।
बिहार में हिंदी ,अंग्रेजी,ऊर्दू,बंगाली भाषाओं में प्रकाशन होता है जिनमें यहाँ हिंदी पत्रकारिता पर ही चर्चा करूँगा । पर्यावरण पर मैं पूर्णिया के वरीय पत्रकार Akhilesh Chandra का उल्लेख करना चाहूंगा । अखिलेश जी हिंदुस्तान में भी रहे हैं बहुत दिनों तक । पर्यावरण की पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता मैंने देखी है । हिंदुस्तान में 2010 में “पितरों की याद में पौधारोपण” पर मुख्यपृष्ठ पर उनका आलेख आया था । प्रभात खबर में सौरा नदी के पुनर्जीवन मुहिम पर भी उनकी पत्रकारिता उल्लेखनीय है । इसके साथ ही जैव विविधता , प्रकृति विज्ञान पर उनके रिपोर्ट्स आते रहे हैं जो रचनात्मक और बदलाव को इंगित होते हैं ।
एक और पत्रकार हैं पटना के Pranay Priyambad ।दैनिक भास्कर में हैं । इन्होंने ने ही हाल में गया के पोखर की दुर्दशा पर लिखा था जिसे पढ़ माननीय हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था और परिणाम यह हुआ कि बिहार सरकार को पॉलीथिन मुक्ति का आदेश देना पड़ा । प्रणय जी के कई एक रिपोर्ट्स पटना के वायु प्रदूषण पर भी रहे हैं । मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम पर इको फ्रेंडली सेनेटरी नैपकिन पर भी इनका रिपोर्ट बेहद ही उच्च कोटि का था। दैनिक भास्कर की लघु पत्रिका जो रविवारीय है , अहा जिंदगी , हाल ही में उसमें इनका पर्यावरण पर आलेख उल्लेखनीय है । इनकी पर्यावरण पर पत्रकारिता की प्रतिबद्धता देखते बनती है ।
बिहार के लगभग सभी समाचार पत्रों ने भागलपुर के धरहरा गाँव की कहानी को बहुत ही प्रमुखता से उजागर किया था जहाँ बेटी के जन्म पर आम के पेड़ लगाने की एक शुभ परंपरा है ! यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण समाचार साबित हुआ क्योंकि इसके परवर्ती प्रभाव बड़े रचनात्मक रहे । जन मानस पर इसके सकारात्मक प्रभाव पड़े और बहुत से लोग इससे प्रेरित हुए ।
इनसभी बातों के अतिरिक्त देखें तो पूर्णिया के Kshitij Kumar Gaurav भी उल्लेखनीय रिपोर्ट कर रहे हैं । पूर्णिया में हिंदुस्तान के पत्रकार Rais Alam भी कृषि और पर्यावरण पर उल्लेखनीय रूप से लिख रहे हैं। रेडियो में आकाशवाणी के अनिल तिवारी ने भी उल्लेखनीय कार्य किया है। वे अब पटना केंद्र पर कार्यरत हैं। टी वी पर Rajesh Kumar Sharma सहारा समय हेतु पर्यावरण पर केंद्रित कई एक रिपोर्ट्स तैयार किये हैं।
दैनिक जागरण में भी कृषि के पर्यावरणीय पहलू पर लिखा जाता रहा है । पूर्णिया के ही टी वी पत्रकार , Rajendra Pathak की कृषि और प्रकृति पर पत्रकारिता उल्लेखनीय है। वे E-TV के लिए तथा अभी News18 के लिए पत्रकारिता करते पर्यावरणीय मुद्दों को बड़ी ही मुखरता से उठाये हैं। प्रकृति, खेती और उन्नति पर एक वेबसाइट तथा फेसबुक पेज को भी संचालित करते हैं।
अभी पटना में कार्यरत ,प्रभात खबर की पत्रकार Rachana Priyadarshini यूं तो महिला केंद्रित पत्रकारिता ज्यादा करती हैं पर इनकी पत्रकारिता में पर्यावरण के प्रति चेतना और चिंता देखने को जरूर मिलती है । आप हमेशा ही पर्यावरण पर मुखर इनको देख सकते हैं । पटना की Juhi Smita भी पर्यावरण पर उल्लेखनीय रिपोर्टिंग कर रही हैं। पटना की ही Ankita Bhardwaj का पर्यावरण पर कार्य भी उल्लेखनीय है। टाइम्स ऑफ इंडिया ,पटना की पत्रकार Faryal Rumi भी अपनी पत्रकारिता से प्रभावित करती हैं। ये सभी अपनी कलम से पर्यावरण पत्रकारिता को एक नई दिशा दे रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि इतने ही पत्रकार पर्यावरण पर सक्रिय हैं , और भी हैं जिनकी चर्चा फिर कभी आगे ! आज इतना ही । यह फेसबुक पोस्ट है । कोई रिसर्च कार्य नहीं तो यहाँ हमारी भी लिखने की सीमा है ।
तो आज इतना ही !
जय पर्यावरण ,
जय पत्रकारिता !
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डॉ. शंभु कुमार सिंह
पटना
4 जून, 21
(लेखक पत्रकारिता के पूर्व प्राध्यापक रहे हैं । बिहार की हिंदी पत्रकारिता पर डॉक्टरेट किया है । बी बी सी , हिंदी सेवा , लंदन द्वारा पत्रकारिता में ही पुरस्कृत हैं ।)
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(नीचे तस्वीर हिंदुस्तान ,हिंदी दैनिक पटना की है जिसके प्रादेशिक पृष्ठ पर पूर्णिया की यह खबर थी । यह खबर भागलपुर संस्करण में मुख्यपृष्ठ की खबर थी। रिपोर्ट था अखिलेश चंद्रा, पूर्णिया का !)

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