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लीची

लीची बिहार का एक प्रमुख फलोत्पाद है। पूरे देश में बिहार के मुजफ्फरपुर की लीची ख्यात है। अपने सुंदर रंगरूप ,स्वाद और फ्लेवर के लिए बिहार की लीची की कोई सानी नहीं। लीची को यहाँ कुछ लोग लुची भी बोलते हैं पर आप इसे लुच्ची नहीं समझें। लुच्ची तो लुच्चा की लुगाई होती है। मिथिला में लुची पूड़ी को भी कहा जाता है। पर अभी पूरा ध्यान लीची पर ही केंद्रित रखें। ई लुच्चा लुच्ची की बात फिर कभी!

लीची (Lychee) तो आप सभी लोग खाते होंगे ही ? यह बहुत ही मीठी और स्वादिष्ट होती है। बच्चे हों या वयस्क, सभी लोग लीची खाना पसंद करते हैं। लीची ही एक ऐसा फल है जिसको पेड़ पर उगने वाला रसगुल्ला कहा जाता है। गर्मी के दिनों में इसकी मिठास और रसीलेपन से लोगों को गर्मी से निजात मिलती है। नीचे हम विस्तार से आपको लीची के फायदे के बारे में बताएंगे! पर पहले लीची पर कुछ और जानकारी ले लें। लीची पेड़ से प्राप्त होने वाला एक रसीला फल है। इसका पेड़ मध्यम आकार का होता है। इसके फल गोल और कच्ची अवस्था में हरे रंग के होते हैं। ये पकने पर मखमली-लाल रंग के हो जाते हैं। फल के अन्दर का गूदा सफेद रंग का, मांसल और मीठा होता है। प्रत्येक फल के अन्दर भूरे रंग का बीज होता है।आयुर्वेद में लीची सिर्फ अपने मधुर स्वाद के लिए ही नहीं, बल्कि अनेक औषधीय गुणों के कारण भी जाना जाती है। लीची गर्म प्रकृति वाला फल है, जो गठिया के दर्द, वात तथा पित्त दोष को यह कम करती है।

लीची एक फल के रूप में जाना जाता है, जिसे वैज्ञानिक नाम Litchi chinensis से बुलाते हैं, जीनस लीची का एकमात्र सदस्य है। इसका परिवार है सोपबैरी। यह ऊष्णकटिबन्धीय फल है, जिसका मूल निवास चीन है। यह सामान्यतः मैडागास्कर,नेपाल, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, दक्षिण ताइवान, उत्तरी वियतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका में पायी जाती है।
लीची का वानस्पतिक नाम Litchi chinensis (Gaertn.) Sonner. (लिची चाइनेन्सिस) Syn-Nephelium litchi Cambess है। लीची का कुल Sapindaceae (सैपिण्डेसी) है। इसे देश या विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः- English – लीट्ची (Litchee), Litchi (लीची), Sanskrit– लीची,Hindi– लीची , Urdu– लीचूर (Lichur), Oriya– लीसी (Lishi),Kannada– लीची हन्नु (Lichi hannu),Gujarati– लीची (Lichi), Bengali– लीची (Lichi),Tamil– इलाइची (Ellaichi),Nepali– लिची (Litchi),Marathi– लीची (Lichi)।

कहा जाता है, यह चीन के अति प्राचीन काल में तंग वंश के राजा ज़ुआंग ज़ाँग का प्रिय फल था। राजा के पास वह द्रुतगामी अश्वों द्वारा पहुंचाया जाता था, क्योंकि वह केवल दक्षिण चीन के प्रांत में ही उगता था। लीची को पश्चिम में पियरे सोन्नेरैट द्वारा प्रथम वर्णित किया गया था 1748-1814 के बीच, उनकी दक्षिण चीन की यात्रा से वापसी के बाद। सन 1764 में इसे रियूनियन द्वीप में जोसेफ फ्रैंकोइस द पाल्मा द्वारा लाया गया और बाद में यह मैडागास्कर में आयी और वह फिर इसका का मुख्य उत्पादक बन गया।

दक्षिण चीन में यह बहुतायत में उगायी जाती है, इसके साथ ही दक्षिण-पूर्व एशिया खासकर थाईलैंड, लाऔस, कम्बोडिया, वियतनाम, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भारत, दक्षिणी जापान, ताईवान मेंभी। अब तो यह कैलिफ़ोर्निया, हवाई और फ्लोरिडा में भी उगायी जाने लगी है। देहरादून में कुछ बहुत से स्वादिष्ट फलों की खेती होती है। इनमें प्रमुख है- लीची। लीची की खेती देहरादून में १८९० से ही प्रचलित है। हालांकि शुरुआत में लीची की खेती यहां के लोगों में उतनी लोकप्रिय नहीं थी। पर १९४० के बाद इसकी लोकप्रियता जोर पकड़ने लगी। इसके बाद तो देहरादून के हर बगीचे में कम से कम दर्जन भर लीची के पेड़ तो होते ही थे। १९७० के करीब देहरादून लीची का प्रमुख उत्पादक बन गया। देहरादून के विकास नगर, नारायणपुर, वसंत विहार, रायपुर, कालूगढ़, राजपुर रोड और डालनवाला क्षेत्र में लगभग ६५०० हेक्टेयर भूमि पर इस स्वादिष्ट फल की खेती होती है। लेकिन अब लीची की खेती में भारी कमी आई है। अब लीची की खेती सिर्फ ३०७० हेक्टेयर भूमि पर ही होती है। बिहार में अभी भी इसकी अच्छी बागवानी होती है। बिहार के मुजफ्फरपुर ,हाजीपुर, पटना , बेगूसराय, नौगछिया, कटिहार, पूर्णिया ,किशनगंज, सुपौल , मधेपुरा,दरभंगा,मधुबनी आदि जिलों में इसकी बहुतायत खेती होती है। इसमें भी मुजफ्फरपुर की लीची देश विदेश में बहुत ही ख्यात है। लोकप्रिय किस्मों में शाही ,चाइना आदि किस्मों की तूती बोलती है। भारत से इसका निर्यात भी होता है। ताजे फलों के अतिरिक्त डिब्बाबंद भी यह निर्यात होता है।

लीची वियतनाम, चीनी और दक्षिण एशियाई बाजारों में ताज़ी बिकती है और विश्व भर के सुपरमार्किटों में भी। इसके प्रशीतन में रखने पर भी इसका स्वाद नहीं बदलता है, हाँ रंग कुछ भूरेपन पर आ जाता है।
लीची गर्मियों का एक प्रमुख फल है। स्वाद में मीठा और रसीला होने के साथ ही ये सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है।लीची में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे मिनरल्स भी पाए जाते हैं।

इसका मध्यम ऊंचाई का सदाबहार पेड़ होता है, जो कि 15-20 मीटर तक होता है, ऑल्टर्नेट पाइनेट पत्तियां, लगभग 15-25 सें.मी. लम्बी होती हैं। नव पल्लव उजले ताम्रवर्णी होते हैं और पूरे आकार तक आते हुए हरे होते जाते हैं। पुष्प छोटे हरित-श्वेत या पीत-श्वेत वर्ण के होते हैं, जो कि 30 सें.मी. लम्बी पैनिकल पर लगते हैं। इसका फल ड्रूप प्रकार का होता है, 3-4 से.मी. और 3 से.मी व्यास का। इसका छिलका गुलाबी-लाल से मैरून तक दाने दार होता है, जो कि अखाद्य और सरलता से हट जाता है। इसके अंदर एक मीठे, दूधिया श्वेत गूदे वाली, विटामिन- सी बहुल, कुछ-कुछ छिले अंगूर सी, मोटी पर्त इसके एकल, भूरे, चिकने मेवा जैसे बीज को ढंके होती है। यह बीज 2X1.5 सेंटीमीटर नाप का ओवल आकार का होता है और अखाद्य होता है। इसके फल फ़ूलने के लगभग तीन मास बाद पकते हैं।
लीची का कलम के द्वारा नया पौधा बनाया जाता है। इसके कलमी पौधे नर्सरी में भी मिल जाते हैं। हाजीपुर ,मुजफ्फरपुर ,पटना ,बेगूसराय, पूर्णिया के नर्सरियों में इसके पौधे लगाने हेतु मिल जाते हैं।

जैसा कि पहले कहा हूँ लीची खाने में बेहद मधुर और स्वादिष्ट होती है। यह केवल स्वादिष्ट ही नहीं वरन इसके खाने से फायदे भी हैं। लीची खाने के बहुत सारे फायदे हैं, जिससे आप अनजान हो सकते हैं? लीची के पेड़ की छाल, बीज, पत्तों से लेकर फल के अनगिनत गुण हैं। लीची के बीज में विषनाशक और दर्द निवारक गुण होते हैं। लीची मुंह के रोग में लाभकारी होने के साथ डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करती है। यहां तक कि इसके पत्तों में भी कीट-दंश-नाशक गुण होते हैं। चलिये लीची के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं अब!

1.मुँह के छाले में लीची के फायदे-अक्सर खान-पान में बदलाव होने या अन्य गड़बड़ी के कारण मुंह में छाले या अल्सर हो जाते हैं। इसी तरह कई लोगों के मुंह से दुर्गंध आने की समस्या भी हो जाती है। इसके लिए लीची के पेड़ की छाल बहुत लाभकारी होती है। लीची के पेड़ की जड़ या तने की छाल का काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला करने से मुंह के रोग में फायदा पहुंचता है। पत्तों को चबाने से भी छालों में राहत मिलती है।

  1. आंतों के रोग में लीची के फायदे –
    आंतों के अस्वस्थ होने पर पेट में दर्द, एसिडिटी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। इसके साथ ही बदहजमी, दस्त, उल्टी आदि जैसी परेशानियां भी होने लगती हैं। इस स्थिति में लीची फल, मज्जा या गूदे (2-4 ग्राम) को कांजी में पीस लें। इसका सेवन करने से पेट संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है।

3.कंठ रोग में लीची के फायदे-
मौसम के बदलाव के कारण कभी-कभी गले में दर्द होने लगता है, जिसके कारण बुखार भी आ जाता है। इस बीमारी में लीची खाने से फायदा मिलता है। लीची के पेड़ की जड़, छाल और फूल का काढ़ा बना लें। इसे गुनगुना करके गरारा करें, इससे गले का दर्द ठीक हो जाता है ।

4.तंत्रिका-तंत्र विकार में लीची के फायदे-
इस बीमारी के कारण मरीज का अपने अंगों पर नियंत्रण नहीं रहता है। शरीर के अंग, जैसे- हाथ, पैर, चेहरा आदि बिना किसी कारण हरकत करने लगते हैं। आप लीची के गुण के फायदे अन्य कई बीमारियों में भी ले सकते हैं। लीची के बीज का प्रयोग तंत्रिका-तंत्र विकारों के इलाज में कर सकते हैं। इससे लाभ होता है।

5.मधुमेह या डायबिटीज में लीची से फायदे-
आजकल की सुस्त जीवनशैली की वजह से मधुमेह के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। तनाव, नींद में कमी, जंक फूड का ज्यादा सेवन, या ज्यादा मीठा खाने से भी डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। लीची (litchi) के सेवन से मधुमेह के नियंत्रण में मदद मिलती है।

6.चेचक में लाभकारी लीची-
इस बीमारी को अंग्रजी में स्मॉल पॉक्स कहते हैं। इस बीमारी में शरीर पर मसूर दाल के जैसे दाने निकल आते हैं। ये दाने, फुन्सियों का रूप ले लेते हैं। इन फुन्सियों में बहुत दर्द भी होता है, और इनके कारण बुखार भी आ जाता है। लीची के कच्चे फल का प्रयोग बच्चों के चेचक रोग की चिकित्सा में किया जाता है।

7.प्रतिरक्षा बढ़ाने में है लीची फायदेमंद-
लीची प्रतिरक्षा में सहयोगी होती है, क्योंकि इसमें आपकी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का गुण उपस्थित होता है।

8.कैंसर रोग में लीची के फायदे-
लीची का फल एवं उसकी पत्तियां दोनों ही कैंसर से लड़ने में सहयोगी होते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण ये शरीर को रोगों से दूर रखने में सहयोगी होती है।

9.त्वचा के लिए फायदेमंद लीची-
त्वचा को सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से जो नुकसान पहुँचता है उससे बचने में पका हुआ लीची का फल फायदेमंद होता है, क्योंकि उसमें ऐसे गुण पाये जातें हैं जो कि स्किन से अल्ट्रावायलेट किरणों के प्रभाव को कम कर देते हैं।

10.वजन कम करने के लिए लीची खायें-
लीची में ऑलिगनॉल तत्त्व, फाइबर एवं जल तत्त्व होने के कारण ये शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करती है जिससे वजन नियंत्रित होता है साथ ही इसमें रेचन यानि लैक्सटिव का भी गुण पाया जाता है जो वजन को कम करने में सहायक होता है।

11.बालों के लिए लीची के फायदे-
लीची में त्वचा की नमी बनाये रखने का गुण पाया जाता है जिससे सिर की रुक्षता को कम करने में मदद मिलती है साथ ही ये बालों का रूखापन कम करके उनको बेजान और झड़ने से रोकती है।

12.आँखों के लिए लीची के फायदे-
आँखों में होने वाली अधिकतर समस्याएं पित्त दोष के बढ़ने से होती है जैसे,आँखों में जलन। लीची में पित्तशामक गुण होने के कारण यह आँखों की समस्या में लाभ पहुँचाती है।

13.सर्दी-जुकाम के वायरस के संक्रमण से बचाव –
सर्दी जुकाम के वायरल के संक्रमण जैसी परेशानियों से भी लीची आपको बचाती है क्योंकि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जो आपके शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद करती है।

14.पाचन को बेहतर बनाये लीची-
लीची में उष्ण गुण होने के कारण पाचक अग्नि को ठीक कर यह पाचन क्रिया को मजबूत बनाती है साथ ही इसमें रेचन गुण होने के कारण यह कब्ज जैसी परशानी से दूर रखती है, जो पाचन को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करती है ।

15.वायरल बीमारियों से बचाये लीची –
वायरल बीमारियां तब होती है जब आपकी पाचन शक्ति कमजोर होने के कारण रोगों से लड़ने की शक्ति कमजोर हो जाती है, जिसके कारण आपका शरीर बीमारियों से लड़ने में असमर्थ होता है। लीची में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का गुण होता है साथ ही यह आपके पाचन को सुधारते हुए आपके शरीर को इस लायक बनाती है कि वह खुद इन बीमारियों से लड़ सके और स्वस्थ रहे।
16.हृदय को स्वस्थ रखे-

लीची में एंटी-ऑक्सीडेंट एवं विटामिन सी होने के कारण यह आपको हृदयाघात यानी हार्ट अटैक जैसी स्थिति आने से बचने में सहयोगी होती है। इसमें विटामिन सी होने के कारण रक्त वाहिनियों को संकुचित होने से रोकती है जिसके कारण रक्त का संचार सामान्य बना रहता है साथ ही यह बल्य होने के कारण शरीर एवं हृदय को बल प्रदान करने में भी सहयोगी होती है।

17.रक्त परिसंचरण के लिए उपयोगी-
रक्त के परिसंचरण के लिए भी लीची के एंटी-ऑक्सीडेंट और विटामिन सी गुण काफी उपयोगी होते हैं क्योंकि विटामिन सी में रक्त वाहिनियों को संकुचित होने से बचाने का गुण होता है जिसके कारण रक्त का संचार सामान्य बना रहता है साथ ही बल्य होने के कारण रक्त वाहिनियों को बल प्रदान करती है एवं उसमें रक्त के संचरण को सामान्य बनाये रखने में सहयोग देती है।

18.अंडकोष विकार में उपयोगी –
अंडकोष में दर्द और सूजन हो तो लीची के बीज से फायदा ले सकते हैं। लीची के बीज का काढ़ा बना लें। इसे 10-15 मिली मात्रा में पिएं। इससे अंडकोष के दर्द और सूजन से राहत मिलती है। इससे अंडकोष की जलन भी खत्म हो जाती है।

19.कीड़ों के काटने पर लाभकारी-
लीची के कुछ अन्य फायदों की बात की जाए तो यह कीड़ों के काटने के इलाज में भी सहायक है। कई बार छोटे-छोटे कीड़ों के काटने पर दर्द, जलन और सूजन हो जाती है। इस दर्द से राहत दिलाने में लीची बहुत काम आती है। लीची के पत्तों को पीस लें। इसे कीड़े के काटने वाले जगह पर लगाएं। इससे दर्द, जलन तथा सूजन और अन्य विषाक्त प्रभावों से छुटकारा मिलती है।
इस तरह हम पाते हैं कि लीची कितनी उपयोगी है हमसबों केलिये! यह केवल सुस्वादु फल ही नहीं है। इसके बहुत सारे फायदें हैं।आयुर्वेद में लीची की छाल, बीज और पत्ते का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है यह ध्यान देने वाली बात है।

आमतौर पर लीची का सेवन नीचे लिखी हुई मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए लीची का उपयोग कर रहें हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
लीची (खाद्य भाग)-पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस),उर्जा 70 किलो कैलोरी 280 kJ,कार्बोहाइड्रेट -16.5 g,आहारीय रेशा-1.3 g,वसा,प्रोटीन,विटामिन C-72 mg,कैल्शियम -5 mg,मैगनीशियम- 10 mg ,फॉस्फोरस -31 mg आदि ।

रोजाना लीची खाने से चेहरे पर निखार आता है और बढ़ती उम्र के लक्षण कम नजर आते हैं।इसके अलावा ये शारीरिक विकास को भी प्रोत्साहित करने का काम करता है। हालांकि लीची खाते समय ध्यान रखें कि इसे बहुत अधिक मात्रा में खाना नुकसानदेह हो सकता है। बहुत अधिक लीची खाने से खुजली, सूजन और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।

वैसे बीटा कैरोटीन और ओलीगोनोल से भरपूर लीची दिल को स्वस्थ रखने में मददगार है। लीची कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने में मददगार है।अगर आपको ठंड लग गई है तो लीची के सेवन से तुरंत फायदा मिलेगा।अस्थमा से बचाव के लिए भी लीची का इस्तेमाल किया जा सकता है। लीची का इस्तेमाल कब्ज से राहत के लिए भी किया जाता है। मोटापा घटाने के लिए भी लीची का इस्तेमाल करना फायदेमंद है।इसके साथ ही ये इम्यून सिस्टम को भी बूस्ट करने का काम करती है। सेक्स लाइफ को स्मूद बनाने के लिए भी लीची खाना फायदेमंद रहेगा।

गर्भावस्था वह समय होता है जब महिलाओं को कुछ भी खाने का मन होता है। यदि आप गर्भवती हैं तो ऐसे भी दिन आएंगे जब आपको कुछ विशेष खाने का बहुत ज्यादा मन करेगा चाहे वह आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर हो या न हो। लेकिन इस दौरान आपको अपने खाने के बारे में पूरी तरह से सावधान रहना चाहिए क्योंकि यह आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। अपने आहार में कुछ विशेष प्रकार के फल और सब्जियां शामिल करके आप अपने शरीर में न्यूट्रिशन की आवश्यकता को पूरा कर सकती हैं और साथ ही अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की सही वृद्धि और विकास को भी सुनिश्चित कर सकती हैं। हालांकि गर्भावस्था के दौरान हर एक फल खाना सुरक्षित नहीं होता है। कुछ प्रकार के फल हैं जिनका सेवन गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए, जैसे लीची। आइए जानते हैं कि गर्भावस्था में लीची आपके आहार का एक भाग क्यों नहीं बन सकती है। लीची एक ट्रॉपिकल फल है जिसकी सुगंध और स्वाद मीठा होता है। यह बहुत स्वादिष्ट होता है पर गर्भावस्था के दौरान इस फल का सेवन करना सुरक्षित नहीं है। क्योंकि इससे ब्लड शुगर में वृद्धि हो सकती है और साथ ही आपको जेस्टेशनल डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। लीची खाने से इन्फेक्शन हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप नकसीर होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान लीची खाने से बचें। यद्यपि फिर भी आपको लीची खाने की तीव्र इच्छा होती है तो हम सलाह देंगे कि पहले इस बारे में डॉक्टर से चर्चा अवश्य कर लें।
गर्भावस्था के दौरान लीची खाने से महिला के स्वास्थ्य पर कुछ अन्य नकारात्मक प्रभाव जो होते हैं वह निम्नलिखित हैं-
गर्भावस्था के दौरान लीची खाने से शरीर में गर्माहट बढ़ जाती है जिससे गर्भावस्था में कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक लीची खाने से आपको नकसीर की समस्या हो सकती है। लीची खाने से खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है जिससे गर्भावस्था के दौरान आपको डायबिटीज भी हो सकती है।इसका उल्लेख पहले भी कर चुका हूँ। गर्भावस्था के दौरान बहुत सारी लीची खाने से स्टिलबर्थ भी हो सकता है। यदि इस अवधि में आप लीची खाती हैं तो इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को इन्फेक्शन हो सकता है। इसलिए इसका सेवन करने से बचना चाहिए। बहुत अधिक मात्रा में लीची खाने से विभिन्न प्रकार की एलर्जी हो सकती है। ज्यादा मात्रा में लीची खाने से आपको खुजली, होठों पर सूजन, हीव्स और इत्यादि जैसी समस्याएं हो सकती है।इस तरह हम देखते हैं कि गर्भावस्था के दौरान बहुत सारी लीची खाने से अनेक समस्याएं हो सकती हैं इसलिए इसे खाने से बचना ही बेहतर है। पर यदि आप फिर भी लीची खाना चाहती हैं तो आपको इसे बहुत संयमित मात्रा में खाना चाहिए और बेहतर होगा यदि इसे खाने से पहले आप डॉक्टर से सलाह ले लें। लीची में बहुत सारे न्यूट्रिएंट्स और मिनरल होते हैं फिर भी गर्भावस्था के दौरान इसे खाने की सलाह नहीं दी जाती है। तो कुछ दूसरा अच्छा खाएं, सुरक्षित रहें और अपनी गर्भावस्था को स्वस्थ रखें।

बिहार में खासकर मुजफ्फरपुर के सटे इलाकों में लीची को इंसेफेलाइटिस या जापानी बुखार से भी जोड़ा गया है पर इसपर कोई पूर्ण वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसे खाली पेट खाने से मना किया जाता है। इससे पेट दर्द भी हो सकता है। लीची खा कर तुरंत पानी पीना भी खतरनाक हो सकता है। खुद मुझे एक बार खाली पेट लीची खाने से भयंकर पेट दर्द हुआ था।

लीची को जब याद करता हूँ तो अपनी फुआ जरूर याद आती हैं। फूफा रेलवे में कार्यरत थे। वे जब भी मुजफ्फरपुर या समस्तीपुर से हमारे घर आये तो एक टोपा लीची जरूर लाते थे। फुआ बड़े प्यार से हमें लीची खिलाती थी। लीची को पानी में छिलके सहित रख धो देती थी फिर उनका छिलका उतार हमें खाने को देती थी। कुछ लीची में उसके डंठल के नीचे पिल्लू भी पाए जाते हैं तो जब भी लीची के छिलके को उतारें पिल्लू है या नहीं यह जरूर देख लें।

इतना पॉपुलर फल होने के बावजूद मेरे गाँव गराही में लीची का एक भी पेड़ नहीं है। बचपन में बालाजी के मंदिर के प्रांगण में इसका एक पेड़ होता था जो अब नहीं है। उसमें हम कभी पका हुआ फल नहीं देखें। कच्चे ही यह बच्चों की बलि चढ़ जाता था। हाँ ,हम इसके पत्तों को चबाते जरूर थे पान की तरह कारण कि किसी ने कहा था कि इसे पान की तरह चबाने से जीभ लाल हो जाती है जो अंततः झूठ साबित हुई। उस पेड़ को ललचाई नजरों से देखना मुझे अभी भी याद है। न जाने कितनी बार उस पेड़ की झुकी डालियों पर लटक कर झूलने की यादें मुझे अभी भी भावुक कर देती हैं!

लीची से रोजगार भी उपलब्ध हो सकता है। इसके फल तो बिकते ही हैं इसके जैम ,जेली ,स्क्वाश , शरबत और जूस से रोजगार की वृद्धि हो सकती है। हाजीपुर के औद्योगिक विकास प्रांगण में बहुत पहले इसके प्रसंस्करण का एक प्लांट भी था जो अब रुग्ण है।रसबंती नाम से इसका उत्पादन होता था। अभी कुछ कम्पनियां इसके शरबत ,स्क्वाश और जूस बेचती हैं। ट्रॉपिकाना , रीयल और किसान आदि इसको उत्पादित करते हैं। बिहार सरकार इसके प्रसंस्करण मुद्दे पर सक्रिय ही नहीं है। इस पर जनता को और सरकार को भी गम्भीरता से विचारने की जरूरत है।यह रोजगार को भी बढ़ा सकती है और आमजन के आर्थिक सबलीकरण को बल दे सकती है।

फिलहाल तो लीची अब पकने ही वाली है। थोड़ी प्रतीक्षा करें फिर तो रसना को रसभरी लीची से तृप्त करते रहें। जब भी खाएं , कुछ मुझे भी खिलाने का कष्ट करें !
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©डॉ. शंभु कुमार सिंह
14 मई ,21
पटना
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www.prakritimitra.com

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