स्किन का बढ़ता रोग सोरायसिस!
क्या आप सोरायसिस के बारे में जानते हैं?बहुत हद तक संभव है कि आपने इस बीमारी के बारे में सुना भी न हो, लेकिन यह एक आम त्वचा रोग के रूप फैल रहा है।सोरायसिस त्वचा से जुड़ी एक बीमारी है। जो अमूमन किसी भी उम्र में हो सकती है।पर युवावस्था में इसकी संभावना ज्यादा होती है।
क्या है सोरायसिस?
अमरीका के नेशनल सोरायसिस फ़ाउंडेशन के मुताबिक, इसमें त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ने शुरू हो जाते हैं।जिसपर सफेद पपड़ी पड़ने लगती है।आमतौर पर इसका असर सबसे ज्यादा कोहनी के बाहरी हिस्से और घुटने पर देखने को मिलता है।पीठ और नितंब के मांसल हिस्से भी प्रभावित होते हैं।वैसे इसका असर शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है।कुछ पीड़ितों का कहना है कि सोरायसिस में जलन भी होती है और खुजली भी। सोरायसिस का संबंध कई ख़तरनाक बीमारियों मसलन, डायबिटीज़, दिल से जुड़ी बीमारियों और अवसाद से भी है।नेशनल सोरायसिस फ़ाउंडेशन के मुताबिक़, अगर शरीर में कहीं भी लाल चकत्ते नज़र आ रहे हैं तो बिना पूछे-जांचे, दवा लेना ख़तरनाक हो सकता है। डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है क्योंकि ये सोरायसिस की शुरुआत हो सकती है।अमरिकन अकेडमी ऑफ़ डर्मेटोलॉजी के अनुसार, यह बीमारी ज़्यादातर गोरे लोगों में होती है। लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं कि ये सांवले लोगों को नहीं हो सकती?
नेशनल सोरायसिस फ़ाउंडेशन के अनुसार, वैज्ञानिकों को अभी भी इसकी असल वजह के बारे में पता नहीं है लेकिन जो पता है उसके मुताबिक़ इम्यून सिस्टम और आनुवांशिक कारणों के चलते ये बीमारी किसी को भी हो सकती है।लेकिन ये संक्रामक बीमारी नहीं है।यह स्वीमिंग पूल में नहाने, किसी सोरायसिस पीड़ित के साथ संपर्क से और किसी सोरायसिस पीड़ित के साथ शारीरिक संबंध बनाने से भी यह नहीं फैलता है।
यह ऑटो इम्यून सिस्टम की एक समस्या भी है।
श्वेत रुधिर कोशिकाएं शरीर को बीमारियों से बचाने का काम करती है। बीमारियों को रोकने की क्षमता को इम्यूनिटी कहा जाता है। लेकिन अगर किसी शख़्स को सोरायसिस है तो इसका मतलब ये भी हुआ कि उसके इम्यून सिस्टम में कोई न कोई कमी आ गई है।सोरायसिस के दौरान श्वेत रूधिर कोशिकाएं त्वचा की कोशिकाओं यानी स्किन सेल्स पर हमला कर देती हैं।जिसकी वजह से स्किन सेल्स शरीर में बहुत तेज़ी से और जल्दी से बनने लगते हैं।यही स्किन कोशिकाएं अतिरिक्त त्वचा मोटी चमड़ी या चकत्ते के तौर पर जमा हो जाती है जिसे हम सोरायसिस कहते हैं ।पर सबसे बड़ा ख़तरा यह है कि अगर एकबार यह प्रक्रिया शुरू हो गई तो आजीवन चलती रहती है।हालांकि कुछ मामलों में अपवाद भी हैं।
क्या इस रोग के लिए जीन्स भी कारण हैं?
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कई बार इसके लिए जीन्स भी ज़िम्मेदार होते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक इस बीमारी को लेकर जाते हैं।
लेकिन ख़तरा इनसे बढ़ जाता है!
1- तनाव।
2- शरीर के किसी हिस्से में लगी चोट, जिससे त्वचा कट गई हो।
3- संक्रमण – कुछ दवाइयों की एलर्जी से।
4- मौसम (बहुत ठंडा)।
5- तंबाकू।
6- शराब।
हर रोज़ अगर इन सबसे आप दो चार हो रहे हों तो इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है।
कैसे जानें कि सोरायसिस हो गया है?
आमतौर पर हमलोग शरीर में खुजली और चकत्ते देखकर अनदेखा कर देते हैं।सोचते हैं कोई इंफ़ेक्शन हो गया है। तो पहले ऐसा सोचना छोड़ना होगा।इसके लिए कोई अलग से ब्लड टेस्ट नहीं होता है लेकिन किसी विशेषज्ञ को संपर्क करने की जरूरत होती है।कई बार विशेषज्ञ उस हिस्से का स्किन सैंपल ले लेते हैं और माइक्रोस्कोप से जांच करते हैं।इसके अलावा अगर आपके घर में किसी को सोरायसिस की शिकायत रह चुकी है तो पहले से ही सतर्क रहें और अगर ऐसा कोई भी निशान नज़र आए या चमड़ी खुरदुरी और मोटी लगे जो जांच जरूर करा लें।
कितने तरह का होता है सोरायसिस?
सोरायसिस पांच तरह के होते हैं।
1- प्लाक सोरायसिस : यह सबसे सामान्य प्रकार है. इसमें शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं।सफेद पपड़ी भी बनती है।
2- ग्यूटेट सोरायसिस : ये शरीर पर दानों के रूप में नज़र आता है।
3- इन्वर्स सोरायसिस : शरीर के जो हिस्से मुड़ते हैं , वहां पर इसका सबसे ज़्यादा असर देखने को मिलता है।
4- पस्ट्युलर सोरायसिस : इसमें लाल चकत्तों के इर्द-गिर्द सफेद चमड़ी जमा होने लगती है।
5- एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस : यह सोरायसिस का सबसे ख़तरनाक रूप है जिसमें खुजली के साथ तेज़ दर्द भी होता है।
इलाज क्या है ?
सोरायसिस का इलाज आमतौर पर इस बीमारी को बढ़ने से रोकता है और इससे सोरायसिस नियंत्रण में रहता है।इसका इलाज तीन चरणों में होता है।
1- टॉपिकल: इसमें प्रभावित जगह पर क्रीम और तेल लगाना शामिल हैं।
2- फ़ोटोथेरेपी: अल्ट्रावायलेट किरणों से इलाज।
3- सिस्टेमिक: दवा या इंजेक्शन
बचाव और सावधानियां
1- शरीर को साफ़-सुथरा रखना और ख़ुद का ध्यान रखना।
2- स्वस्थ भोजन और दिनचर्या।
3- तनाव से दूर रहना।
4- रोग की पूरी जानकारी।
इसमें शराब का सेवन करना बहुत ही खतरनाक है। खुश रहने की कोशिश करें। तनावमुक्त जीवन जीने की कोशिश करें। एंटीऑक्सीडेंट युक्त भोजन लें। मछली खाना इसमें फायदेमंद है। ग्रीन टी ले सकते हैं। दूध कम लें। डेयरी उत्पाद से सोरायसिस बढ़ता है। सेक्सुअल लाइफ को नियमित रखे। नियमित नहाना जरूरी है।शरीर को डिटॉक्स करते रहें। नारियल का तेल संक्रमित स्किन पर नियमित लगाएं। एलोवेरा का जेल भी लगाना फायदेमंद है। एलोवेरा जूस ले सकते हैं। आयुर्वेदिक दवा कुछ हद तक इसमें काम करती है। अंग्रेजी दवा से यह दबता है पर फिर दुगने प्रभाव से उभरता है। स्टीरॉइड दवा और भी घातक है। बहुत गम्भीर रोग हो तो तत्काल दबाने हेतु अंग्रेजी दवा का व्यवहार कर सकते हैं । पर इसके कारण तेजी से उभार होता है। तो एलोपैथी से बचे ही। होमेओपैथी और नेचरोपैथी से फायदा होता है। धूप में रहें पर बहुत ज्यादा नहीं। स्किन को ड्राई नहीं होने दें। उसे हमेशा आद्र रखने की कोशिश करें। नीम हकीम से बचे। इसकी कोई दवा नहीं बनी है। इसके मूल कारण का भी अभी तक कोई पता नहीं चला है तो संयमित और नियमित जीवन जीने की कोशिश ही इस रोग से बचाव है।
डॉ. शंभु कुमार सिंह
21 अक्टूबर ,2020
पटना
??
1 comment
बहुत ही सुंदर और जानकारीपूर्ण !??
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