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प्रेम ,विवाह और विवाहेतर संबंध

by Dr Shambhu Kumar Singh

प्रेम ,विवाह और विवाहेतर संबंध

(तीन)

मैं कई बार कह चुका हूँ, प्रेम विशुद्ध भावनात्मक मुद्दा है। यह कविता है जिसे दिल से समझा जा सकता है ,दिमाग से नहीं। यह साहित्य है। अनुभूति है। पर विवाह एक अनुबंध है। जीवन जीने का ,सृष्टि को आगे बढ़ाने का एक उपक्रम। तो इसके लिए व्यवस्थाएं निर्मित की गई हैं।सहिंता भी। समाजशास्त्र की भाषा में कहें तो विवाह एक संस्था है।
विवाह इसी लिए संस्था है कि यह संतति केलिये मुख्यतः है। संतति नहीं चाहिए तो फिर विवाह की जरूरत ही नहीं है। प्रेम कीजिये। पर संतति की जब बात आती है तो बहुत सारे उत्तरदायित्व आते हैं। भविष्य की चिंता आती है। घर का निर्माण होता है। रोजी रोटी की भी बात होती है। सामाजिक मान और प्रतिष्ठा की भी बात होती है।
अभी अभी एक पोस्ट लिखा हूँ कि दो शादीशुदा स्त्री पुरुष घर से भाग पटना के एक होटल में एक महीना से रह रहे थे। आज पकड़े गए। दोनों को बच्चे भी हैं। इस पोस्ट पर एक मित्र की टिपण्णी थी कि आजादी के इतने दिनों बाद भी लोग प्रेम करने को स्वतंत्र नहीं ! मैंने मित्र को कहा कि प्रेम करने को कोई भी व्यक्ति स्वतंत्र है पर विवाहित जीवन में विवाहेतर प्रेम वर्जित है। यह अपराध है। और जब दोनों घर से भागे हुए हैं तो मामला विशुद्ध सेक्स का ही है,प्रेम नहीं। होटल में पकड़ाए हैं। अब ऐसे माता पिता को क्या कहेंगे जो अपने बच्चों के भविष्य को आग लगा प्रेम की दरिया में डुबकी लगा शीतल हो रहे हैं ? ये तो विकृति है। सेक्सुअल से ज्यादा मानसिक !
अब अडॉल्ट्री अपराध नहीं रहा। सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है।पर अडॉल्ट्री दूसरे कानून को बाधित नहीं कर सकता है जैसे कि विवाह से जुड़े कानून को । अगर बाधित करता है तो यह जुर्म है। दंडनीय है। सहमति से सेक्स जो अब कानूनन मान्य है पर वह कितना नैतिक है, इस पर भी चर्चा होनी चाहिए ,यह नहीं कि कानूनन मान्य है तो खुली छूट मिल गयी है। अडॉल्ट्री केलिये हमारी हिंदी में एक शब्द है ,छिनरपन ! यह ऐसा शब्द है कि सभ्य समाज में लोग बोलने से भी परहेज करते हैं। तो समझिए कि इसे व्यवहार में उतारना कितना कठिन है? पर जो लोग इन सारी बातों से ऊपर उठ जाते हैं वो कुछ भी कर सकते हैं ! घर में बच्चों को छोड़ दूसरे साथी के साथ भाग कर गुलछर्रे उड़ाना तो सामान्य सी बात है उनके लिए!
पर ध्यान दें , हमारी संस्कृति ,सभ्यता और भविष्य केलिये यह एक गम्भीर बात है !
इस पर सोचिएगा जरूर !
??

©डॉ. शंभु कुमार सिंह
24 जून ,21
पटना

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