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लट उलझे सुलझा जा बालमा

by Dr Shambhu Kumar Singh

लट उलझे सुलझा जा बालमा !

आज बड़की भउजी की छोटकी बहिन फुलवा की बात नहीं होगी। आज सीधे बड़की भउजी की चर्चा होगी। बड़की भउजी कल न्योता दी कि आजा देवरा कुछ तूफानी करते हैं तो ऐसा लगा इस कड़कड़ाती ठंड में कोई नीतीश जी से छुपा दो बोतल ठर्रा पिला दिया ! एकदम्मे आग लग गयी देह में! फिर पूछा कि क्या तूफानी करना है ए भउजी ?
भउजी दिल की बड़ी कोमल हैं। बोलीं, आपके भैया, भंटा बैगन लाये हैं तो सोची कि इसका चोखा बना दें और साथ में लिट्टी और आपको नहीं बुलाएं यह हो नहीं सकता तो इसलिए पहले ही बोल दिए रे देवरा, समय पर आ जाना!
अभी ठर्रा की आग जो बदन में धधक रही थी लगा कोई बसिया पानी इस पूस में बदन पर डाल गया है। धत्त भउजी ! इहे बात ?

तो समय पर भउजी के घर पहुंचा। भउजी मगन रसोड़े में रस-राग के साथ व्यंजन अनुष्ठान में व्यस्त थीं। भइया सग्गा लहसुन कतर रहे थे। मैं गया तो मिर्ची कतरने को चाकू मुझे धरा दिए। मन किया सीधे भोंक देते हैं उनके तोंद में पर याद आया यह भैया बचपन में कितना मुझे गोद में लिए दिन भर टांगे रहते थे। ऐसे भइया के प्रति मेरे मन में ऐसा क्यों विचार ,यह सोच मन खट्टा हो गया!
तभी भउजी लिट्टी के सत्तू में नींबू का रस डाल मुझे बोली ,रे देवरा, इसकी खटाई चखो और बताओ कि चटक स्वाद है न ?गज्जब स्वाद कि भउजी की यह खटाई जीवन में मिठास घोलती नजर आयी !
भउजी जब खुश रहती हैं तो गुनगुनाती हैं। बाथरूम सिंगर मत समझिए इन्हें । अच्छा गाती हैं। तो आज भी किचेन में गा रही थी , लट उलझे ,सुलझा जा बालमा ! क्या गज्जब गाती हैं ! भइया तो सुन इतने मगन हो जाते हैं कि लहसुन के साथ अंगुली भी काट डालते हैं।
तो अरे,ओह की जब आवाज मुझे सुनाई दी तो मुझे एकदम कन्फर्म पता हो गया कि भइया अपनी उंगली काट चुके हैं। वैसे उनका क्या कुसूर ? दिल तो बच्चा है जी!

अभी भी किचेन से आवाज आ रही है ,लट उलझे ,सुलझा जा बालमा ! मन किया कि भउजी को बोलें कि ए भउजी ,किचेन में जाने के पहले लट सुलझा लिया कीजिये। कमसेकम लिट्टी बनाते समय दिक्कत तो नहीं होगी! पर नहीं बोले! यह भी मन किया कि जा कर हमहीं सुलझा देते हैं! क्या दिक्कत है? या ड्रेसिंग टेबल पर उनकी जो कंधी है ले जा कर दे देते हैं। ले भउजी ,खुद ही सुलझा ले फिर लिट्टी बनाना !

लिट्टी गज्जब बनी थी। चोखा भी । खीर भी बनाई थी भउजी। इनके हाथ का बनाये खाना जो खाता है वह जीवन भर याद करता है। आज भी वह सुस्वादु भोजन बनाई थीं। साक्षात अन्नपूर्णा हैं भउजी। पर लट नहीं सुलझने का असर खाना पर पड़ा था। एक दो बाल लटपट थाली में दिख ही गया।

इस बार भइया को सख्त ताकीद कर आया हूँ कि कोई अच्छी किस्म का एन्टी हेयर फॉल शैम्पू भउजी को खरीद दीजिये। विटामिन बी की गोली भी दीजिये इनको खाने को । छरहरी बने रहने के चक्कर में इनको आयरन की कमी हो गयी है तो अभी गाजर,पालक,केला,खजूर आदि इन्हें भरपूर दीजिये खाने को ताकि बाद में इनके लट इस तरह टूटते नहीं रहें भले ही उलझे तो उलझे ! सुलझाने को हम हैं न और भइया क्या केवल सग्गा लहसुन काटने के लिए ही हैं?
आप भी जब किचेन से आवाज आये कि लट उलझे सुलझा जा बालमा तो इस गाने पर लहालोट नहीं होने का , दौड़ कर बाजार से किसी अच्छे शैम्पू को घर में जरूर लाएं !
अरे ,यह क्या ,आज तो मेरे किचेन से भी यह सुमधुर आवाज आ रही है, लट उलझे ,सुलझा जा बालमा !
जय हो !

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©डॉ.शंभु कुमार सिंह
पटना /7 दिसम्बर,21
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