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मस्से क्या होते हैं?

by Dr Shambhu Kumar Singh

मस्सा(Warts) क्या है?

मस्सा नुकसान रहित त्वचा में बढ़ोतरी के रूप में एक उभार होता है। यह हयूमन पैपिलोमा वायरस (एच.पी.वी.) नामक विषाणु के कारण होता है। यह नॉन-कैंसरस होता है। यह वायरस शरीर में ऐसी जगह से प्रवेश करता है जहां पर त्वचा कटी व फटी हुई होती है, वहाँ पर बढ़कर यह त्वचा की बाहरी परत को प्रभावित करता है।

मस्सा कई प्रकार के होते हैं

1.कॉमन वार्ट्स- खुरदुरे से उभरे हुए वार्ट्स जो अक्सर हाथों पर पाये जाते हैं।
2.फ्लैट वार्ट्स- यह अन्य वार्ट्स की अपेक्षा छोटे और मुलायम होते हैं। इनके सिरे फ्लैट होते हैं और ये आमतौर से चेहरे, बांहों और टाँगों पर पाये जाते हैं।
3.फिलीफार्म वार्ट्स- यह बढ़कर धागों जैसे दिखते हैं और ऐसे अधिकतर चेहरे पर पाये जाते हैं।
4.प्लांटर वार्ट्स- आमतौर से पैरों के तलुओं में पाये जाते हैं और जब ये गुच्छों में बनते हैं तो मोजॉइक वार्ट्स के रूप में जाने जाते हैं। ये कड़े और मोटे पैच होते हैं,जिनमें छोटे-छोटे काले बिन्दु होते हैं जो कि वास्तव में रक्त वाहिनियां होती हैं।
5.पेरिंयगुअल वार्ट्स- ये अंगुलियों और अंगूठों के नाखूनों के नीचे और इर्द-गिर्द बनते हैं। इनकी सतह खुरदुरी होती है और ये नाखूनों की बढ़ोतरी को प्रभावित कर सकते हैं।

6.जेनिटिक वार्ट्स- ये सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज का सबसे प्रचलित रूप है। ये शरीर के प्रजनन संबंधी हिस्सों जैसे कि योनि, लिङ्ग, गुदा और अंडकोष पर बनते हैं। ये उभरे हुए या चपटें, अकेले या गुच्छों में बन सकते हैं और सैक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान त्वचा के संपर्क से फैलते हैं।

मस्सा क्यों होता है?

मस्सा होने के पीछे बहुत सारे कारण होते हैं जो निम्नलिखित हैं-
1.एस.पी.वी. (हयूमन पैपिलोमा वायरस) के कारण मस्सा उत्पन्न होता है जो बहुत संक्रामक और प्रत्यक्ष संपर्क द्वारा फैलता है।
2.यदि आप अपने वार्ट्स को छूते हैं और उसके बाद अपने शरीर के दूसरे हिस्से को छूने भर से ही खुद को नये सिरे से संक्रमित कर सकते हैं।
3.तौलिया या निजी उपयोग की दूसरी चीजों को मिल बांटकर, इस्तेमाल करने से यह एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुँच सकता है।
4.प्रत्येक व्यक्ति एच.पी.वी के खिलाफ अपने इम्युन सिस्टम की मजबूती के अनुसार प्रतिक्रिया करता है। कुछ लोगों में वार्ट्स की सम्भावना अधिक होती है जबकि अन्य इस वायरस से प्रतिरक्षित रहते हैं।

मस्सा होने के लक्षण

वैसे तो आमतौर पर मस्सा शरीर के किसी अंग में त्वचा पर अतिरिक्त उभार जैसा दिखता है लेकिन इसके अलावा और भी लक्षण होते हैं जिनके बारे में जानकारी रखना अच्छा होता है।
1.मस्से विभिन्न आकार-प्रकार या रंगों के हो सकते हैं।
2.यह खुरदुरा या मुलायम भी हो सकता है।
4.इसका रंग त्वचा के रंग का भूरा, गुलाबी या सफेद भी हो सकता है।
4.हालांकि मस्से में दर्द नहीं होता लेकिन यदि ये ऐसे हिस्से में है जहां अक्सर दबाव पड़ता हो या वह हिस्सा मूवमेंट में रहता हो जैसे; पैर के तलुए, तो यह पीड़ायुक्त भी हो सकता है।
5.मस्से में रक्त वाहिनियों द्वारा खून और पोषक तत्व सप्लाई किये जाते हैं जो काले बिन्दुओं-से दिखते हैं।

मस्सा से बचने के उपाय

1.मस्सा न हो या होने पर उससे बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है विशेषकर आहार-योजना। इससे मस्सा से बचा जा सकता है या होने पर उसको बढ़ने से कुछ हद तक रोका जा सकता है।
हमें प्रीवेंटिव रूप से सब्जियां जैसे, पालक, केला, ब्रोकली आदि जो विटामिनों से भरपूर होती है और जो वायरस से मुकाबले के लिए आपके प्रतिरक्षक तंत्र को शक्ति देते हैं का सेवन करना चाहिए।प्रतिरक्षक तंत्र को शक्ति देने के लिए और मस्सों को घटाने के लिए फल भी प्रभावी होते हैं। जैसे; जामुन, टमाटर, चेरी, कद्दू आदि कुछ उदाहरण हैं।प्रोटीन से समृद्ध आहार जैसे; मांस, मछली, मेवे, साबुत अनाज आदि मस्सों में लाभकारी होते हैं।

क्या नहीं खाना चाहिए

रिफाइंड और प्रोसेस्ड आहार जैसे व्हाइट ब्रेड और पास्ता।ट्रांस फैट युक्त आहार जैसे; केक, कूकीज, डोनट आदि।फास्ट फूड जैसे ऑनियन रिंग और फ्रैंच फ्राइज।शक्कर की अधिक मात्रा वाले आहार न लें।

मस्सा हटाने के लिए घरेलू इलाज

आमतौर पर लोग जैसे मुँहासे, काले दाग-धब्बे, डार्क सर्कल्स के लिए घरेलू उपचार का सहारा लेते हैं उसी तरह मस्सों की समस्या से निजात पाने के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही अपनाते हैं। यहां हम कुछ आयुर्वेदिक विशेषज्ञों द्वारा उपलब्ध ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके प्रयोग से मस्सों की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है-
1.प्याज का रस निकालकर सुबह-शाम नियमित रूप से मस्सों पर लगाने से लाभ होता है, क्योंकि इससे धीरे-धीरे मस्सा सूखकर निकल जाते हैं।
2.मस्सों पर फ्लॉस बांधना भी मस्से हटाने का एक तरीका है, मस्सों को फ्लॉस से बांधने से उन तक रक्त का प्रवाह नहीं हो पाता, इससे मस्से सूखने लगते हैं, आप पाएंगे कि उनका रंग भी बदल जाता है। कुछ दिनों बाद वह सूखकर गिर जाते हैं।
3.बरगद के पत्तों का रस भी मस्सों के उपचार में काफी असरदार साबित हुआ है। बरगद के रस को त्वचा पर लगाने से त्वचा नर्म-मुलायम हो जाती है और मस्से झड़ जाते हैं।
4.आलू एक ऐसी सब्जी है तो हर व्यंजन में जुड़कर उसका स्वाद बढ़ाता है, लेकिन आलू औषधि के रूप में भी काम करता है । तुरन्त कटे हुए आलू को मस्से पर दिन में तीन से चार बार रगड़ें। ऐसा करने से मस्से सूखकर गिरने लगते हैं।
5.अलसी के बीजों को पीस लें। उसके बाद इसमें अलसी का तेल और शहद मिलाएं, इस मिश्रण को मस्से पर लगाएं।चार से पांच दिनों में आपको परिणाम देखने को मिलेगा।
6.थोड़ा-सा एप्पल साइडर विनेगर कॉटन बॉल पर लगाकर दिन में तीन बार मस्सों पर लगाएं। कुछ हफ्ते में मस्से निकल जायेंगे।
7.लहसुन की कली को छीलकर उसे काट लें, उसके बाद इसे मस्से पर रगड़ें। कुछ ही दिनों में मस्से सूखकर गिरने लगेंगे।
8.ताजे अनानास को टुकड़ों में काट लें और उसको मस्से पर लगाने से धीरे-धीरे मस्सा सूखकर गिर जाता है।
9.मौसंबी सिर्फ फल के रूप में सेहत को फायदा नहीं पहुँचाती बल्कि मौसंबी के रस की एक ताजा बूंद यदि आप अपने मस्से पर नियमित रूप से लगाएं तो इससे भी काफी राहत मिलती है।
10.केले के छिलके की सहायता से आप मस्से को दूर कर सकते है। केले के छिलके को अंदर की तरफ से मस्से पर रखकर उस पर पट्टी बांध दें। नियमित रूप से दिन में दो बार लगातार ऐसा करने से मस्से निकल जाते हैं।
11.पैरों के मस्से गर्मी के प्रति संवेदनशील होते हैं और यदि आप अपने पैरों को गर्म पानी में प्रतिदिन 15 मिनट तक रखें तो ये कुछ सप्ताह में गायब हो सकते हैं।

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ?

अगर मस्सा बार-बार निकल रहा है या आकार में बढ़ रहा है तो डॉक्टर से संपर्क करने में देर नहीं करनी चाहिए। डर्मोटोलोजिस्ट सिर्फ त्वचा की वृद्धि को देख कर मस्से की पहचान करते हैं, स्किन बायोप्सी आमतौर पर ऐसे मामलों में किया जाता है, जहां विकास के बारे में स्पष्टता की कमी होती है। त्वचा बायोप्सी के पीछे अन्य कारण भी शामिल हो सकते हैं, जैसे-विकास गहरा है या सिर्फ आस-पास की त्वचा तक ही है?अनियमित त्वचा जुड़ी है?रक्तस्राव के साथ है?अत्यधिक तेजी से बढ़ रहा है? आदि। तो डॉक्टर की सलाह पर अमल करें। बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के कोई दवा या उपचार की कोई विधि न अपनाएं। यह आलेख भी विभिन्न स्रोतों से ली गयी सूचनाओं का संपादित स्वरूप है । यहाँ भी सुझायी गयी सलाह को किसी चिकित्सक की देखरेख में ही अपनाएं। यह आलेख मात्र सूचनापरक ही है। यह मेडिकल-क्लिनिकल जानकारी नहीं है, अतः लेखक इस आलेख की जानकारी की सत्यता की पुष्टि नहीं करता।

©डॉ.शंभु कुमार सिंह
पटना /27 जनवरी21
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