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मानसिक स्वास्थ्य

by Dr Shambhu Kumar Singh

मानसिक स्वास्थ्य दिवस

हिन्दु मान्यताओं में धन धान्य की भी देवी है, देवता हैं, शक्ति के भी । पर सबसे अद्भुत हैं बुद्धि ,विवेक की देवी माँ सरस्वती । कला , संगीत की अधिष्ठात्री। विद्या की देवी।
हमारी मान्यताओं में ज्ञान को धन ,संपत्ति से बड़ा स्थान दिया गया है। अष्टावक्र शारीरिक रूप से कुरूप थे परंतु विद्वान थे तो पूजनीय थे। हाल ही में दिवंगत स्टीफेन विलियम हॉकिंग (1942-2018) अपनी तमाम शारीरिक अक्षमताओं के बाबजूद दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क के स्वामी थे। यहाँ अपने बिहार में वशिष्ठ नारायण सिंह जितनी जहालत जिंदगी जी सके उसके पीछे भी उनकी मानसिक अस्वस्थता ही थी । तो सबकुछ नष्ट हो जाये बावजूद अगर दिमाग है तो आदमी जी लेता है कारण कि बिना ज्ञान का जीवन कुछ भी नहीं है।
मेरे बाबूजी बोलते थे ,किसी को गुस्सा में भी पागल या पगली नहीं बोलना चाहिए। यह बोलना बहुत ही बुरा है। लेकिन आजकल हम देखते हैं आम बोलचाल में भी घर में लोगों को बोलते ,”अरे पगले, पगली हो क्या” आदि आदि !
दिमाग ठीकठाक रहे इस हेतु शुद्ध ऑक्सीजन बहुत ही जरूरी है। पौष्टिक भोजन भी । स्वस्थ वातावरण। सुसंस्कृत विकास। नियमित व्यायाम । यह सभी एक स्वस्थ मस्तिष्क के लिए जरूरी है।
पूरे विश्व में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। भारत खासकर बिहार में तो और भी खराब है। पहले जब बिहार झारखंड एक थे तो कांके का मानसिक हॉस्पिटल मानसिक अस्वस्थता के लिए एक बेहतरीन व्यवस्था थी। बंटवारे के बाद कोइलवर में हॉस्पिटल बने। पर वैसी ख्याति इसे नहीं मिली।
मानसिक अस्वस्थता अब आम है । कौन स्वस्थ है ,कौन नहीं ,एकदम सही सही नहीं कहा जा सकता। आज की आपाधापी वाली जिंदगी में मानसिक रोग आम होते जा रहे हैं। अभी हाल ही में बिहार के लाल ,सुशान्त सिंह राजपूत की मृत्यु में एक तर्क उनकी मानसिक अस्वस्थता के पक्ष में भी दिया जा रहा है। यह आम है कि कुछ मानसिक रोग आत्महत्या के करण भी बनते हैं। डिप्रेशन इनमें मुख्य हैं। कुछ कॉमन रोग हैं जो अब बहुतायत में दिख जा रहे हैं। फोबिया ,सिजोफ्रेनिया, ओ सी डी , मैगलोमेनिया, परोनॉइड पर्सनालिटी आदि आम रोग हैं। फोबिया में भी माइसो फोबिया आम है जिनमें रोगी को सफाई के प्रति गहरा आग्रह होता है। वे बार बार हाथ धोते हैं। उनकी जिंदगी इस कारण बड़ी कठिन हो जाती है। नरक समान । बहुत को देखते होंगे आप कि वो बार बार बंद ताले को चेक कर रहा है ,तो यही समझिए वह कोई मानसिक समस्या से गुजर रहा है।
मनोरोग साइकोसिस और न्यूरोसिस टाइप होते हैं। दोनों की चिकित्सा संभव है। न्यूरोसिस थोड़ी जल्दी ठीक होते हैं। दवा से चिकित्सा के साथ बिजली के झटके से भी चिकित्सा होती है जो कारगर होती है। बेहविरियल थेरैपी भी एक कारगर तरीका है रोगी को स्वस्थ करने हेतु ।
मनोरोगी के व्यवहार आपको गुस्सा दिला सकते हैं। पर उन्हें डांटे नहीं । उनको संवेदनशीलता के साथ समझे और वैज्ञानिक तरीके से सहयोग करें । उनके साथ अड़े नहीं । मनोरोगी को प्यार की जरूरत होती है। प्यार से उनकी बहुत ही समस्याओं को खत्म किया जा सकता है।
कुछ विकृत मानसिकता के लोग घातक भी होते हैं। ऐसे लोग जघन्य अपराध भी कर सकते हैं। ये लोग सामान्य सा दिखते हैं और हमारे आसपास ही होते हैं। जिन्हें हम कभी कभी नहीं पहचान पाते हैं। इनको पहचानना बहुत ही जरूरी है। ये समाज के लिए बहुत ही घातक होते हैं। तो सचेत भी रहने की जरूरत है।
किसी को बार बार आत्महत्या की इच्छा हो तो वह तत्काल अपने मित्र या किसी निकट परिजन से संपर्क करे। उनसे बात करे। अपनी समस्या शेयर करे। आप भी किसी आत्महत्या के लिये सोच रहे व्यक्ति को उसके लक्षण के आधार पर पहचान सकते हैं और समय रहते सुधारात्मक उपाय आजमा सकते हैं।
कोई मानसिक रोग से अस्वस्थ न हो । पर अस्वस्थ हो ही गया है तो घबराने की बात नहीं है। आधुनिक विज्ञान में मनोरोग की चिकित्सा की अच्छी सुविधा है। रोगी की सही चिकित्सा उन्हें स्वस्थ बना सकती है।
आज मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर मैं सभी को सुंदर मानसिक स्वास्थ्य की कामना करता हूँ। आप सभी स्वस्थ रहें । खुश भी !
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© डॉ. शंभु कुमार सिंह
10 अक्टूबर ,2020
पटना

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