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बिहार चुनाव पर चर्चा-1

by Dr Shambhu Kumar Singh

बिहार चुनाव और किसान

बिहार चुनाव अब जवानी पर है। तीसरे चरण का भी नामांकन खत्म हो गया है। अब होगी वोटिंग यानी बजेगा पीं। कोई बोलेगा टें तो कोई बोलेगा टी..टीं !
चुनाव मुद्दों पर होते हैं। यहां भी कुछ मुद्दे होंगे ही? मैं उन्हीं मुद्दों की तलाश में हूँ कि आखिर ये राजनेता और राजनीतिक दल किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं?
आइये सबसे पहले चर्चा करें खेती किसानी की। अभी अभी भारतीय संसद ने ताबड़तोड़ तीन तीन कृषि या किसान संबंधित कानून पास कर दिया। इन कानूनों पर कस कर बबाल हुआ । राज्यसभा आसन पर कागज के टुकड़े फेंके गए। सांसदों ने गला फाड़ फाड़ भाषण दिया। गुस्से से लबरेज ये नेता ऐसे लगे कि अब किसानी जो पहले खूब चकाचक थी ,खत्म हो जाएगी ? राजग की सहयोगी पार्टी ,अकाली दल ने गठबंधन से हाथ खींच लिया। गांधी बाबा की मूर्ति के नीचे हमारे कुछ सांसदों ने धरना प्रदर्शन भी किया। तो यह रहा किसानों के मुद्दे पर अभी अभी घटित कुछ हलचलें!
अब आ जाइये बिहार! चुनाव की प्रक्रिया शुरू है! भाषण भी हो रहें हैं पर मुद्दों के केंद्र से किसान गायब है। वो हो सकता है घोषणा पत्र में कहीं अलबला रहा हो पर जमीनी स्तर पर किसान की बात करता कोई नजर नहीं आ रहा है। धान की कटनी शुरू है। कहीं कहीं धान तैयार हो बिक भी गया। न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है उसका खुलेआम मजाक उड़ रहा है। किसान दलालों ,महाजनों को औने पौने दाम में धान बेचने पर मजबूर हैं। कहीं भी सरकारी क्रय केंद्र नहीं खुला है और जनवरी तक भी खुल जाए उसकी कोई संभावना नहीं है।
अभी अभी बाढ़ भी आई थी । मुजफ्फरपुर,दरभंगा ,सहरसा, सुपौल,मधुबनी, सारण, पूर्णिया, कटिहार जिलों में बाढ़ ने कहर बरपाया है। उनके राहत हेतु कोई घोषणा नहीं है। कोई योजना नहीं। अगर है भी तो कहीं दिख नहीं रहा। नहीं दिख रहा तो कोई चर्चा नहीं। तो यह है स्थिति!
जैविक खेती की भी कोई चर्चा नहीं। नीतीश जी की वह संकल्प भी नाले में तैर रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि हर थाली में एक बिहारी व्यंजन होगा । अब हालात तो यह है कि खुद किसान की थाली बिक गयी। थाली रहती भी तो कुछ आशा थी , पर वह भी गायब !
दुखद है कि बिहार में किसानों का कोई संगठन नहीं है । अगर है तो कोई पॉकेट में ले घूम रहा है। किसान आयोग की उपस्थिति है पर वह भी हाथी के दिखाने वाले दांत की तरह है। कोई पत्रिका नहीं। संवाद की स्थिति नहीं।
तो क्या हो रहा है? वही खुले मंच से नंग नाच हो रहा है! विधायक जी गाड़ी से उतर कमर मटका रहे हैं। सब लोग विकास का राग अलाप रहे हैं। आपलोग भी सुन ही रहे होंगे, ध्यान से सुनिए!
हिलेले….हिलेले !
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©डॉ.शंभु कुमार सिंह
22 अक्टूबर ,2020
पटना
(लेखक खुद एक प्रगतिशील किसान हैं। राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कृषिकार्य हेतु पुरस्कृत भी । राजनैतिक स्तर पर भी सक्रिय ।हाल ही में लोकशक्ति के बिहार प्रदेश अध्यक्ष बने हैं।)

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