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यादों के साथ सफर

by Dr Shambhu Kumar Singh

जनशताब्दी एक्सप्रेस
पकड़ ली है गति
बढ़ती जा रही है तेजी से आगे
पर मैं छूटता जा रहा हूँ
पीछे
उतनी ही तेजी के साथ
यह कैसा सफर है
बार बार नजर आती है
बेटी
हॉस्टल की बालकनी से
हाथ हिलाते
अपने को मजबूत लड़की दिखाते
मैं मुस्कुराता हूँ
क्योंकि इसकी बदमाशियां
देखते रहा हूँ
बचपन से
बाहर जोर जोर
बरसा हो रही है
बूंदें बेताब हैं
बोगी में आने को
दे रही जोर जोर
दस्तक
खिड़की के शीशे पर !

© डॉ.शंभु कुमार सिंह
पटना , 30 जुलाई, 19

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