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संकट में वह परिवार

by Dr Shambhu Kumar Singh

कुछ परिवारों को मैंने नजदीक से देखा है! अद्भुत होते हैं ? सुबह उठेंगे तो दस ग्यारह बजे । फिर पलंग पर बैठ नाश्ता । उसके बाद कोई मुद्दा उठाएंगे । और घनघोर बहस !
हँसी आती है ऐसे लोगों पर ! बहस के अंतिम में अपशब्दों का प्रयोग , किसी का लिहाज नहीं । रोना धोना । मार पीट । कसम । फिर उसमें यह सब साबित करने की होड़ होती है कि हम तो यह बोले थे यह नहीं ! एकदम झोपड़पट्टी का दृश्य !
सबसे दुखद यह कि इसमें घर के बड़े भी शामिल हो बहस कर रहे होते हैं ? ऐसे परिवार ने कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दिया है सिवाय क्लेश के । हमलोग भी परिवार देखें हैं । सुबह उठते ही सब अपने अपने काम में लगा हुआ है । फुरसत है तो मिलजुल हँस बोल रहे हैं नकि लड़ाई कर रहे हैं ? ऐसे परिवार शापित परिवार होते हैं । जिनके बड़े बड़े ही बुरे होते हैं । बच्चों की परिवरिश ठीक से नहीं होती । सहनशीलता का नामोनिशान नहीं होता ऐसे परिवार में । झगड़ालू वातावरण हमेशा देखेंगे । किसी को भी मुस्कुराने केलिये फुरसत नहीं पर लड़ने को देखिये तो कूद पड़ेंगे !
वातावरण और परिवरिश के अलावा डी एन ए भी उत्तरदायी होता है । बच्चे क्या बड़े भी सब समझते हुए खुद को नहीं बदलते हैं । ये लोग खुद को कभी गलत नहीं कहेंगे । हमेशा अपना दोष दूसरे के सिर डालेंगे ।
बच्चे भी ऐसे ही करते हैं क्योंकि वो बचपन से ही परिवार में किचकिच देखते बड़े हुए हैं । उनकी कंडीशनिंग किशोरावस्था तक हो जाती है जो कभी नहीं बदलती और अगर बदलती है तो बड़ी कठिनाई से !
ऐसे लोग आपस में भी प्यार से नहीं रहते । परिवार पांच सदस्यों का हो या दस ,किसी का किसी के साथ अमूमन प्यार नहीं होता ! ये लोग बाहरी लोगों को भी बहुत प्यार नहीं देते। एक असामान्य प्रतिक्रिया यह भी देखने को मिलती है कि ऐसे लोग घर से बाहर प्यार ढूंढते हैं या सभी को संदेह की निगाहों से ही देखते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि खूब प्यार करने भी लगे ! क्योंकि इनको लगता है कि इन्हें कोई प्यार किया ही नहीं । ऐसी बात दिमाग में बैठी रहती है या बैठायी जाती है परिवार के ही किसी सदस्य के द्वारा । ये लोग बिखड़े परिवार के अंग होते हैं । किसी भी मुद्दे पर एकजुट नहीं ।
नजदीक से देंखे तो ऐसे परिवार अंदर से बहुत ही कमजोर होते हैं । क्योंकि ये लोग आपस में संपर्क में तो रहते हैं पर जुड़े हुए नहीं होते । किसी का किसी से मेल नहीं । कोई इस घाट तो कोई उस घाट ! ऐसे परिवार में यह भी देखा गया है कि यहाँ किसी गलत व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी हो सकता है ? जो खुद उन्हें भी नहीं मालूम क्योंकि यह प्रभाव अचेतन में रहता है । ये लोग हमेशा अपनी असफलता का दोष दूसरे को देंगे । असहिष्णुता पूरी तरह भरी हुई । छोटी सी बात पर मारकाट हो जाये । जैसे एक गिलास पानी मांग दें या केवल चाय बना कर देने को कहें ! घर में घमासान हो जाये कि तुम बनाओ तो तुम बनाओ ! चूंकि बचपन से ही बच्चे झगड़ालू माहौल में रहते हैं तो देंखेंगे कि ऐसे परिवार के बच्चे अनुशासनहीन होते हैं । बेलिहाज !
तो जब भी आप ऐसे परिवार को देंखे ,जरूर सोचें कि यह परिवार संकटग्रस्त है । इनका अब भगवान ही मालिक है !??

डॉ. शंभु कुमार सिंह
29 जून , 20

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