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महिलाएं और विज्ञापन

by Dr Shambhu Kumar Singh

महिलाएं और विज्ञापन

(महिला दिवस पर विशेष)
जब से टी वी आया विज्ञापन में महिलाओं की पूछ बढ़ गयी है । हालांकि प्रिंट मीडिया में स्त्रियों का प्रयोग तो हमेशा ही होता रहा है । स्त्री सौंदर्य की प्रतीक है पर विज्ञापन बनाने वाले सौंदर्य के उपासक नहीं होते वो मुद्रा के होते हैं । इसी से उन्हें मोक्ष मिलता है ।
प्रिंट में साड़ी , शमीज आदि के साथ सौंदर्य प्रसाधन के विज्ञापनों में स्त्री का प्रयोग खुलेआम होते रहे हैं । पैंटी या ब्रा के विज्ञापन भी आते हैं जिन्हें स्त्री से ज्यादा पुरुष देखते हैं जबकि आज तक किसी पुरुष को मैंने ब्रा पहने नहीं देखा ! अब हाल ही में एक सीमेंट के टी वी विज्ञापन में एक उत्तेजक रूप में स्त्री को देखा जा सकता है । अब सीमेंट की बिक्री और स्त्री को दिखाने में कोई तुक नज़र नहीं आता पर स्त्री इस विज्ञापन में भरपूर सीमेंट के साथ नज़र आती है कि बहुतों का सीमेंट बह जाता है । स्त्री का विज्ञापन में प्रयोग वह सीमेंट है जो वस्तु का उपभोक्ताओं के साथ मजबूती से जोड़ने के काम आता है !
यहां यह भी जान ले कि विज्ञापन में जब स्त्री को दर्शाया जाता है तो उपभोक्ता के रूप में विज्ञापनकर्ता की नज़र में पुरुष उपभोक्ता ही होते हैं यानी स्त्री बहुतायत रूप से उपभोक्ता नहीं होती है । यह समाज में स्त्री की स्थिति को बताता है । यह यह भी बताता है कि स्त्री के प्रति समाजमनोविज्ञान क्या है ?
अभी अभी टी वी पर हॉटस्टार का विज्ञापन आता है जिसमें एक स्त्री बोलती है कि क्या उखाड़ लोगे ? बोलती या सोचती है । वह अपने ससुर के प्रति भी ऐसी ही कोई भाव प्रगट करती है ।
दरअसल ये विज्ञापन कहना क्या चाहते हैं ? या स्त्री के किस रूप को समाज के सामने रखना चाहते हैं ? दरअसल स्त्री को हमेशा ही वस्तु के रूप में विज्ञापित या प्रस्तुत किया जाता रहा है । उसके शरीर को तो विकृत रूप से हम दिखाते तो हैं ही अभी के विज्ञापन में हम उसकी भावना को भी विकृत रूप से प्रगट कर माल बेच रहे हैं । परिवार तो ऐसे ही टूट रहे हैं ,यह विज्ञापन यह दिखा रहा है कि परिवार या परिवार के सदस्यों के प्रति स्त्री का नज़रिया कैसा है ! यह दुखद है ।
स्त्री न सीमेंट है , न पिज्जा ,न चाट वरन वह व्यक्ति है ऐसी बात होनी चाहिये । पहल भी हो । पहल भी स्त्री को ही करना है । पुरूष को क्या पड़ी है । स्त्री के मामले में उनका सीमेंट बहुत ही कमजोर है !
और एक कमजोर सीमेंट पर मजबूत नींव की बात नहीं की जा सकती !
तो अब आप ही आगे आओ है शक्तिरूपा !

डॉ. शंभु कुमार सिंह
पटना
6 मार्च , 19

(डॉ. शंभु कुमार सिंह विज्ञापन और जन सम्पर्क के प्राध्यापक भी रहे हैं । कुछ संस्थानों में इन्होंने पढ़ाया है । इन्हें इस क्षेत्र में पुरस्कार भी मिल चुके हैं ।)

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