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भारत में गौपालन

by Dr Shambhu Kumar Singh

देशी गायों का हमारे जीवन से विलुप्त होना!

एक जमाना था जब हमें गाँव में विदेशी गायें देखने को नहीं मिलती थी । लोग देशी नस्ल के गायों का पालन करते थे।दूध भी कम ही मिलता था पर उनके दूध बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट होते थे। सांढ़ भी देशी होता था। लोगों में एक परंपरा सांढ़ों को दाग कर समाज हेतु छोड़ने की भी थी जो अब नहीं है। आधुनिक लोग हँसते थे कि यह क्या कर रहे हैं लोग ? पर इसमें भी मानव कल्याण निहित था। हमारे पूर्वजों ने जो परम्परा बनाई थी उसका वैज्ञानिक आधार था।पर अब हम यह सब भूल चुके हैं।
देशी गायों के गोबर उपयोगी होते थे। उसके मूत्र भी। उसके दूध, दही और घी में अद्भुत गुण हुआ करते हैं। ये दूध ए2 कहलाता है। ए2 दूध मानव स्वास्थ्य केलिये अमृततुल्य है। यह हर उपयोगी रसायनों से युक्त होता है। इसके सेवन से न डाइबिटीज होता है और न बी पी की समस्या। मोटापा तो होने से रहा! यह दूध हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अभी जो इम्यून सिस्टम की चर्चा जोरो पर है,ऐसे समय हेतु बहुत ही मुफीद! जर्सी ,फ्रीजियन आदि गायों के ए1 दूध फायदा तो पहुंचाता नहीं वरन हानि ही हानि देता है।हमारी इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है। लेकिन इस दूध का सेवन कर हमारी क्षुद्र आदत ने हमें एक ऐसे अंधकार में झोंक दिया है जिससे निकलना बहुत ही मुश्किल है।
देशी गायों के बछड़े भी उपयोगी होते थे। उन्हें किसान हल में व्यवहार कर खेती करते थे। छोटे जोत की खेती जो आज की वास्तविकता है केलिये ये बछड़े बहुत ही उपयोगी होते है जो अब मिल भी नहीं रहे और खेती बाधित हो रही है। क्योंकि सभी किसान न ट्रैक्टर रख सकते हैं और न उनको भाड़ा पर ले सकते हैं।बैलगाड़ी भी इन्हीं देशी बछड़ों की कमी के कारण खत्म हो गयी जो एक वक्त किसानों केलिये बहुत ही उपयोगी हुआ करती थी।अब हमारे बच्चे “नदिया के पार” फ़िल्म में बैलगाड़ी देख पूछते हैं कि यह क्या है? तो समझ सकते हैं, हम विकास के किस मुहाने पर हैं?
यह उस राज्य की बात है जिस राज्य में सीतामढ़ी के बैलों की नस्लों को इज्जत काफी थी और किसान इनको पालना गर्व की बात मानते थे। सीतामढ़ी नस्ल की गायें भी कम खुराक में खूब दूध देती थी। बिहार की बात न कर देश की बात करें तो हमारे देश में विश्व स्तर की गायें हुआ करती रही हैं। अभी भी कहीं कहीं उपलब्ध हैं। राठी ,गिर,सिंघी,साहीवाल आदि नस्ल की गायें न केवल पर्यावरण वरन हमारे स्वास्थ्य के लिए अमृत है।
मैं तो कहूंगा कि गाय पालन एक बेहतरीन रोजगार भी है। आप एक या दो गाय का पालन करें । ज्यादा भी कर सकते हैं।अकेले नहीं करें।दूसरे को भी प्रेरित करें। गाय पालकों का फेडरेशन बनाएं और थोक में ए2 दूध की बिक्री करें,भूखे मरने की बात छोड़िए, लखपति हो जाएंगे। इसीलिए गाय को हमारे यहाँ पूज्य भी कहा गया है क्योंकि इसके दूध के साथ गोबर और मूत्र से भी हम जीवनयापन हेतु संबल प्राप्त कर सकते हैं।
आइये गाय-पालन करें। विदेशी गायों का बहिष्कार करें।
दूध की नदियां बहा दें। किसी को गाय पालन में दिक्कत हो ,किसी तरह की जानकारी लेनी हो तो मुझसे भी संपर्क कर सकते हैं। अगर ए2 दूध है तो उनके दूध की मार्केटिंग की हम गारन्टी भी देते हैं। आप विचार जरूर करें और एक कदम गौशाला की ओर बढ़ा दें,यह सफलता के हजार कदम साबित होंगे!?
धन्यवाद!
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प्रकृति मित्र

ग्रीन एप्पल ऑर्गेनिक्स

Prakriti Mitra

Green Apple Organics

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Dr.Shambhu Kumar Singh
26 August, 2020
Patna
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